रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस. एस. मुंदड़ा ने कहा है कि नकदी की तंगी और धोखाधड़ी से जूझ रहे भारतीय बैंकिंग उद्योग के बेहतर प्रबंधन के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का यह सही समय है। मुंदडा ने बैंकों के निजीकरण को लेकर भी टिप्पणी की है। उनका कहना है कि भारत की सामाजिक- आर्थिक स्थितिको देखते हुए सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए परिस्थितियां फिलहाल सही नहीं है।
मुंदडा ने कल रात यहां भारतीय स्टेट बैकद्वारा प्रायोजित मिंट एशिया ग्लोबल बैंकिंग कॉनक्लेव में कहा, “बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने पर चर्चा करने के लिए यह सही समय है। इस प्रकार की होल्डिंग कंपनी में शुरूआत में सरकार की बहुमत हिस्सेदारी होनी चाहिए और कंपनी के पास अलग-अलग बैंक की बहुमत भागीदारी होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में, सरकार को कंपनी में हिस्सेदारी कम कर देनी चाहिए। मेरा मानना है कि यह एक रूप-रेखा हो सकती है और इसमें 15 से 20 साल लग सकते हैं।
एस.बी.आई. चेयरमैन रजनीश कुमार के बयान पर सहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि बैकिंग व्यवस्था में सुधार के लिए निजीकरण कोई रामबाण नहीं है, यह पूरी तरह से स्पष्ट है। कुमार ने अपने बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए परिस्थितियां सही नहीं हैं। एक चर्चा के दौरान कुमार ने कहा, “देश की वर्तमान सामाजिक- आर्थिक स्थिति का हवाला दिया औरकहा कि यह निजीकरण के लिए सही समय नहीं है। हो सकता है 20 साल बाद आपके पास इसके लिए सही समय हो।”