नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय सहारा की जमानत के लिए शर्तें तय की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की 50 अरब रुपए की बैंक गारंटी के नकदीकरण के लिए भी शर्तें निर्धारित की हैं। कोर्ट ने सुब्रत राय सहारा को राहत देते हुए कहा है कि वह बेल फंड जुटाने के लिए आठ हफ्ते तक जेल के आउटहाउस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शुक्रवार को सहारा मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सहारा को जमानत हेतु अपनी ज्यादा संपत्तियों को बेचने की मंजूरी दे दी है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर सुब्रत राय सहारा 3 किस्तों में डिपॉजिट जमा नहीं करते हैं तो उन्हें वापस सरेंडर करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, अगर किस्तों का भुगतान नहीं किया गया तो सेबी सहारा की बैंक गारंटी को भुना सकता है। इतना ही, राय को भारत से बाहर जाने की भी अनुमति नहीं दी गई है।
सेबी ने नए सिरे से चलाई है मुहिम
सहारा के निवेशकों को पैसे लौटाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए सिरे से मुहिम चलाई है। सहारा के दो कंपनियों के बॉन्ड धारकों से सेबी ने निवेश के सबूत के साथ अपना दावा पेश करने को कहा है। इससे पहले भी सेबी दो बार सहारा के निवेशकों को पैसे लौटाने की प्रक्रिया अपना चुका है।
सुब्रत रॉय को जेल से निकालने के लिए जुटाए जा रहे हैं पैसे
सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत रॉय के साथ दो शीर्ष अधिकारी भी तिहाड़ जेल में एक साल से अधिक समय से बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से 5,000 रुपए नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी देने को कहा था, जिससे वे जेल से बाहर आ सकें। इन पैसों का एक हिस्सा जमा करवाया जा चुका है और समूह दूसरी परिसंपत्तियों को बेचकर फंड जुटाने की कोशिशों में लगा हुआ है।
सहारा समूह का विवाद
सहारा समूह की अपने दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) ने रियल एस्टेट में निवेश के नाम पर 3 करोड़ से अधिक निवेशकों से 17,400 करोड़ रुपए जुटाए थे।
सितंबर 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने केलिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष दस्तावेज जमा किए, जिसके बाद सेबी ने अगस्त, 2010 में दोनों कंपनियों के जांच करने के आदेश दिए थे। इस मामले पर विवाद बढ़ता गया और आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपए वापस देने के आदेश दिए।