नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच बीते 6 साल से अटके परमाणु समझौते का रास्ता साफ होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम तेज कर दिया है। पीएमओ ने अगले एक दशक में देश की न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता तिगुनी करने का खाका तैयार किया है। अभी देश की न्यूक्लियर पावर क्षमता 4,780 मेगावाट है। हालांकि, पीएमओ का यह लक्ष्य काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) को बीते दस साल में न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता दोगुनी करने में संघर्ष करना पड़ा है।
परमाणु समझौते की अड़चनें दूर करने के लिए हाल में हुई अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने अपने-अपने स्तर पर लचीला रुख दिखाया। इसके तहत, अमेरिका जहां परमाणु रिएक्टरों को सप्लाई होने वाले सामग्री की कदम-कदम पर निगरानी की मांग छोड़ने को तैयार हो गया, वहीं भारत ने रिएक्टर बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों को 1,500 करोड़ रुपये का बीमा कवर दिलाने का भरोसा दिलाया है। दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर डील हुए समझौते के बाद पीएमओ की तरफ से डीएई को उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करने की दिशा में यह निर्देश दिए गए हैं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश की न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में डीएई को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। एक समाचार पत्र ने अनुसार, डीएई ने 2020-21 तक न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता को 14,580 मेगावाट करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। देश में अभी सात रिएक्टरों का निर्माण पूरा होने और परिचालन शुरू की संभावना के मद्देनजर पीएमओ ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है। इन सात रिएक्टरों की कुल उत्पादन क्षमता 5,300 मेगावाट है। इसके अलावा, 6,900 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता के स्वदेशी रिएक्टर तकनीक पर आधारित 11 रिएक्टर और 10,500 मेगावाट की क्षमता वाले आयातित तकनीक पर 8 रिएक्टरों का निर्माण अगले तीन साल में शुरू करने की तैयारी है।
बीते तीन साल में न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स में रही सुस्ती
बीते तीन साल में न्यूक्लिर प्रोजेक्ट्स में कोई खास प्रगति नहीं देखने को मिली। जिसके चलते सरकार को 2020 तक न्यूक्लिर पावर उत्पादन क्षमता 20,000 मेगावाट करने के अपने पहले के लक्ष्य में कटौती करनी पड़ी है। भारत-अमेरिका के बीच हुए न्यूक्लिर समझौते से उत्साहित सरकार ने यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था।
एटामिक पावर सेक्टर में फंडिंग बढ़ाने के संकेत
न्यूक्लियर पावर उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस सेक्टर में फंडिंग को बढ़ाने के भी संकेत मिले हैं। क्योंकि, पिछले वित्त वर्ष के दौरान एटामिक पावर सेक्टर में कुल निवेश में कमी आई। 2013-14 के दौरान एटामिक पावर सेक्टर में कुल 3,626 करोड़ रुपए का निवेश हुआ, जो बीते तीन साल में सबसे कम है। एटामिक पावर सेक्टर में वित्त वर्ष 2011-12 में 3,650 और 2012-13 में 4,549 करोड़ रुपए हुआ था।
बीते दशक में 70 फीसदी बढ़ी एटामिक क्षमता
बीते एक दशक में देश की एटामिक क्षमता में करीब 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर 2004 में देश की एटामिक क्षमता 2,770 मेगावाट थी, जो अभी 4,780 मेगावाट तक पहुंच गई है। 2013-14 में देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता न्यूक्लियर पावर की हिस्सेदारी महज 3.54 फीसदी है।
बिजली उत्पादन क्षमता (मेगावाट, 31 दिसंबर 2014 तक)
थर्मल 1,78,341.89
न्यूक्लियर 4,780
हाइड्रो 40,867.43
रिन्यूअबल एनर्जी 31,692.14
कुल क्षमता 2,55,681.46