लगातार अपील के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को सभी लोन रेपो रेट से जोड़ने का निर्देश दिया है. RBI ने सभी बैंकों को 1 अक्टूबर से रेपो रेट के साथ होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर के सभी प्रकार के लोन को जोड़ने के लिए कहा है.
RBI का सख्त फैसला
दरअसल पिछले कुछ महीनों से केंद्रीय बैंक लगातार सभी सरकारी और प्राइवेट बैंको से रेपो रेट के साथ बैंक लोन को जोड़ने के लिए कह रहा था. लेकिन कई बैंक RBI की अपील को नरअंदाज कर रहा है. जिसके बाद अब केंद्रीय बैंक को डेडलाइन के साथ निर्देश देना पड़ा है. इसके अलावा आरबीआई ने रेपो जैसे बाहरी बेंचमार्क के तहत ब्याज दरों में 3 महीने में कम से कम एक बार बदलाव करने को कहा है.
बैंक कर रहे थे मनमानी
ग्राहकों की लगातार शिकायत रही है कि केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती के बावजूद बैंक ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं. इस बात को लेकर रिजर्व बैंक भी नाराज था. बता दें, रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक केंद्रीय बैंक 0.85 प्रतिशत तक की कटौती कर चुका है.
RBI के निर्देश से ग्राहकों को फायदा
रेपो रेट को ब्याज दर से लिंकिंग की व्यवस्था लागू होने का सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा. क्योंकि अब आगे से जब-जब रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा तब बैंकों के लिए भी ब्याज दर में कटौती करना अनिवार्य हो जाएगा. इसका असर यह होगा कि आपकी ऑटो लोन और होम लोन समेत अन्य लोन की ईएमआई दर में कमी आएगी.
यही नहीं, रेपो रेट से लोन की लिंकिंग की व्यवस्था लागू होने के बाद सिस्टम पहले के मुकाबले ज्यादा पारदर्शी बनेगा. इससे हर कर्ज लेने वाले व्यक्ति को ब्याज दर के बारे में पता होगा. बैंक क्या मुनाफा ले रहे हैं, इसकी भी उन्हें जानकारी होगी. इसके अलावा ग्राहक बैंकों के लोन की ब्याज दरों की भी तुलना कर सकेंगे.
सरकारी बैंकों ने मान ली थी आरबीआई की बात
बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सभी बैंकों से ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक करने की अपील की थी. लेकिन आरबीआई गवर्नर की अपील के बाद भी कुछेक बैंकों ने ही इस पर अमल किया. अहम बात ये है कि जिन्होंने रेपो रेट से ब्याज दरों को जोड़ने का फैसला लिया है, वो सभी सरकारी बैंक हैं.
आरबीआई गवर्नर की सलाह मानने वालों में सबसे पहला बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) था. SBI की तर्ज पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ने भी लोन को रेपो रेट से लिंक करने का फैसला ले लिया. लेकिन कुछ प्राइवेट बैंक इसको लेकर गंभीर नहीं दिख रहे थे.
अभी क्या है स्थिति
मौजूदा वक्त में अलग-अलग लोन की ब्याज दरें बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) और मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) जैसे इंटरनल बेंचमार्क के आधार पर तय होती हैं. इस बेंचमार्क पर भी बैंकों की ब्याज दरें रेपो रेट पर ही आधारित होती हैं. लेकिन यह अनिवार्य प्रक्रिया नहीं होती. कहने का मतलब यह है कि मौजूदा स्थिति में आरबीआई के रेपो रेट कटौती के बाद भी बैंकों पर ब्याज दर कम करने का कोई दबाव नहीं होता है. वह अपने मुताबिक ब्याज दरों में कटौती करते हैं.
बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इसी आधार पर ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को राहत मिलती है. इसके बाद बैंक कर्ज को कम ब्याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं.