आज के जमाने की हीरोइन होती तो मजा आता: माला सिन्हा

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बीते जमाने की बॉलीवुड स्टार माला सिन्हा का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी होती यदि वे आज के जमाने में हीरोईन होतीं क्योंकि उनके जमाने की तुलना में फिल्म नगरी में तकनीक के मामले में काफी बड़ा फर्क आया है।76 वर्षीय अभिनेत्री ने 50 और 60 के दशक में अपनी मोहक मुस्कान, सुंदरता और अभिनय से बॉलीवुड पर राज किया था। पिछली रात को दादा साहब फाल्के अकादमी पुरस्का… आज के जमाने की हीरोइन होती तो मजा आता: माला सिन्हा

बीते जमाने की बॉलीवुड स्टार माला सिन्हा का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी होती यदि वे आज के जमाने में हीरोईन होतीं क्योंकि उनके जमाने की तुलना में फिल्म नगरी में तकनीक के मामले में काफी बड़ा फर्क आया है।76 वर्षीय अभिनेत्री ने 50 और 60 के दशक में अपनी मोहक मुस्कान, सुंदरता और अभिनय से बॉलीवुड पर राज किया था। पिछली रात को दादा साहब फाल्के अकादमी पुरस्कार के मौके पर सिन्हा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बदलाव फिल्म नगरी अच्छे के लिए होता है। हमारे समय में फिल्म निर्माण की प्रक्रिया काफी धीमी थी। आज तकनीक बहुत विकसित हो गई है। मैं यही सोचती हूं कि काश माला आज के समय में हीरोइन होती तो काफी मजा आता।’अभिनेत्री की आज की फिल्म नगरी का हिस्सा बनने की इच्छा की एक और वजह पुरस्कार हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं टीवी पर हर सप्ताह कुछ पुरस्कार कार्यक्रमों को होते देखती रहती हूं लेकिन हमें मुश्किल से ही पुरस्कार मिल पाते थे। मेरी इच्छा है कि मैं आज के जमाने में हीरोइन होती तो आप सभी मुझे भी पुरस्कार पाते हुए देखते।’इस मशहूर अभिनेत्री ने हिंदी, बांग्ला और नेपाली भाषाओं की फिल्मों काम किया है। उन्होंने अपनी प्रतिभा और सुंदरता से सबका ध्यान खींचा और 1950 के दशक के शुरुआती दौर से 1970 के दशक तक हिंदी फिल्मों की चर्चित मुख्य अभिनेत्री रहीं। सिन्हा ने सौ से ऊपर फिल्मों में काम किया जिनमें प्यासा 1957, धूल का फूल 1959, दिल तेरा दीवाना 1962, गुमराह 1963, हिमालय की गोद में 1965, आंखें 1968 और अन्य शामिल हैं।