फिल्म इशक इन पेरिस रिलीज़ हो चुकी लोगों को प्रतीक्रीयाएं आने लगी हैं। इस फिल्म को ठीक ठाक रिसपॉस मिल रहा है। निर्देशक प्रेम राज की इस फिल्म से प्रीति जिंटा एक लंबे समय बाद फिल्मी परदे पर नज़र आ रही हैं। यही इस फिल्म की सबसे बड़ी यू एस पी हैं।
दिल्ली के लोगों का कहना है कि फिल्म तो काफी अच्छी है प्रीति के काम की काफी तारीफ हुई है पर रेहान मलिक के क…
फिल्म इशक इन पेरिस रिलीज़ हो चुकी लोगों को प्रतीक्रीयाएं आने लगी हैं। इस फिल्म को ठीक ठाक रिसपॉस मिल रहा है। निर्देशक प्रेम राज की इस फिल्म से प्रीति जिंटा एक लंबे समय बाद फिल्मी परदे पर नज़र आ रही हैं। यही इस फिल्म की सबसे बड़ी यू एस पी हैं।
दिल्ली के लोगों का कहना है कि फिल्म तो काफी अच्छी है प्रीति के काम की काफी तारीफ हुई है पर रेहान मलिक के काम की… इन लोगों ने कहा कि रेहान मलिक को अभी काफी कुछ सीखना है। फिल्म में प्रीति के साथ रेहान की जोड़ी अच्छी नहीं भई कुछ जमी नहीं।
कुल मिलाकर दर्शकों की प्रतिक्रिया बताती है कि फिल्म लोगों को ठीक-ठाक पसंद आ रही है और लोग ना चाहते हुए भी प्रीति के कारण फिल्म को देख रहे हैं।
इस फिल्म से उन्होंने काफी उम्मीदें बांध रखी हैं या यूं कहें कि उनकी उम्मीदों का दारोमदार इस फिल्म पर ही है। पिछले कुछ सालों से उनके लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा है। लीड रोल वाली उनकी आखिरी फिल्म ‘हीरो’ भी बॉक्स ऑफिस पर खास कामयाब नहीं रही थी। ऐसे में इस फिल्म से उम्मीदें लगाती है तो कोई गलत नहीं है।
‘इश्क इन पेरिस’ ऐसे दो लोगों की प्रेम कहानी है, जो शादी में विश्वास नहीं करते। दोनों के मां-बाप अलग हो चुके हैं और अपने मां-बाप के टूटे रिश्तों ने उनके दिलों में शादी के प्रति एक नफरत का भाव पैदा कर दिया है। यह कहानी पेरिस से शुरू होती है और भारत में खत्म होती है। इश्क (प्रीति जिंटा) और आकाश (रेहान मलिक) रोम से पेरिस जा रही एक ट्रेन में मिलते हैं। इश्क सप्ताहांत की छुट्टियां बिता कर अपने घर पेरिस लौट रही है। वहीं आकाश किसी काम के सिलसिले में लंदन से रोम आया होता है। उसकी लंदन की फ्लाइट छूट जाती है और वह पेरिस होते हुए लंदन जा रहा है।
दोनों में बातचीत शुरू होती है और पेरिस पहुंचने के बाद आकाश पेरिस में अपने साथ एक शाम बिताने के लिए इश्क को मनाता है। इस वादे के साथ कि वो दुबारा कभी नहीं मिलेंगे। बाद में नियति एक बार फिर उसे पेरिस पहुंचा देती है। उसकी मुलाकात दोबारा इश्क से होती है। इस बार बात थोड़ी आगे बढ़ती है। आकाश को इश्क से प्यार हो जाता है। वह शादी करना चाहता है, पर इश्क को यह मंजूर नहीं, क्योंकि अपने पिता के अपनी मां की जिंदगी से चले जाने की घटना को वह भुला ही नहीं पाती।
कुल मिला कर यह एक ठीक ठाक बॉलीवुड फिल्म है, जिसमें आगे होने वाली घटनाओं का अंदाजा आसानी से हो… है। प्रेम राज का निर्देशन भी ठीक है। हां फिल्म की सिनेमेटोग्राफी जरूर शानदार है। कैमरे ने पेरिस की खूबसूरती को लाजवाब तरीके से कैद कर पेश किया है। एफिल टावर का फिल्मांकन बेहतरीन है। जब भी उसे दिखाया गया है, वह फिल्म में घट रही स्थितियों का प्रतिबिंब लगता है।
इशक इन पेरिस कुल मिलाकर ठीक ठाक फिल्म एक बार तो देख ही सकते हैं। और सबसे पहली वजह तो खुद प्रीति ज़िंटा है आखिरकार साढ़े तीन साल बाद परदे पर दिखाई दे रही हैं।