ऋतुपर्णो के निधन से फिल्‍म जगत में शोक की लहर

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फिल्ममेकर ऋतुपर्णो घोष के निधन से पूरे फिल्म जगत में दुख और शोक की लहर दौड़ गई। अपने दुख जाहिर करते हुए बंगाली फिल्मों के जाने-माने अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा कि उनके लिए यह समाचार एक सदमे की तरह है और रितुपर्णो की जगह भरना आसान नहीं होगा।

घोष के निधन की खबर आते ही टॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने घोष के निधन पर गहरा शोक…

ऋतुपर्णो के निधन से फिल्‍म जगत में शोक की लहर

फिल्ममेकर ऋतुपर्णो घोष के निधन से पूरे फिल्म जगत में दुख और शोक की लहर दौड़ गई। अपने दुख जाहिर करते हुए बंगाली फिल्मों के जाने-माने अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा कि उनके लिए यह समाचार एक सदमे की तरह है और रितुपर्णो की जगह भरना आसान नहीं होगा।

घोष के निधन की खबर आते ही टॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने घोष के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, ‘मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा कि घोष नहीं रहे। इस समाचार को स्वीकार करना बड़ा मुश्किल है। हमने एक बेहतरीन फिल्म निर्देशक को बहुत कम उम्र में खो दिया।

49 वर्ष के घोष पैन्कि्रयाटाइटिस से पीडि़त थे और आज सुबह साढे़ सात बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। चटर्जी ने कहा, ‘वह एक महान प्रतिभाशाली निर्देशक थे और उनके निधन से पैदा हुई रिक्तता को भरना आसान नहीं है।’

उधर एक्‍ट्रेस राइमा सेन ने कहा कि रितुदा ने उनके करियर को निर्णायक मोड़ दिया जिसके कारण वह हमेशा उनकी आभारी रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘ऋतुपर्णो दा ने चोखेर बाली से मेरे करियर को निर्णायक मोड़ दिया। वह मेरे लिए एक निर्देशक से कहीं बढ़कर थे। वह हमारे परिवार के सदस्य की तरह थे। वह असीमित प्रतिभा के धनी थे।’

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक कौशिक गांगुली ने कहा कि इस समाचार ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। रंगमंच के कलाकार कौशिक सेन ने कहा, ‘वह मेरी अगली प्रस्तुति देखने आने वाले थे। उनके निधन से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।’ राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने भी कहा कि घोष महान प्रतिभा के धनी थे और उनकी कमी को पूरा करना बहुत मुश्किल है।

घोष के पारिवारिक सूत्रों के बताया कि 12 राष्ट्रीय और कुछ अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम करने वाले घोष पैन्कि्रयाटाइटिस से पीडि़त थे और आज सुबह साढे सात बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

बता दें कि घोष को 1994 में बाल फिल्म हिरेर अंगति के निर्देशन से प्रसिद्धि मिली थी। इसके बाद उनिशे अप्रैल के लिए उन्हें 1995 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया।उन्होंने इसके अलावा दहन, असुख चोखेर बाली, रेनकोट, बेरीवाली, अंतरमहल और नौकादुबी जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया।