नई दिल्ली। गायक मन्ना डे के निधन पर बॉलीवुड में सभी ने शोक जताया है। उन्हीं के दौर की महान गायिका लता मंगेशकर ने भी मन्ना के निधन पर दुख जताते हुए पुराने दिनों को याद किया। लता ने बताया कि मन्ना सरल स्वभाव के थे और लोग उन्हें प्यार से मन्ना दा बुलाते थे।
लता ने ट्वीट कर कहा, आज महान शास्त्रीय गायक और पार्श्वगायक मन्ना डे साहब जिन्हें हम सब मन्ना दा कहते थे, वो हमारे बीच नहीं रहे। मुझे जहां तक याद है मन्ना दा के साथ मैंने अनिल विश्वास जी का क्लासिकल गाना गाया था 1947-48 में। वो मेरा उनके साथ पहला गाना था। मन्ना दा बहुत हंसमुख और सरल स्वभाव के इनसान थे। अपने काम के प्रति बहुत समर्पित थे। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मन्ना दा की आत्मा को वो शांति दे। मैं मन्ना दा की आत्मा को प्रणाम करती हूं
अनुशासन पसंद थे मन्ना
वहीं मन्ना डे के करीबी लोगों को कहना है कि वह ज्ञान को तलाशने वाले, साहसिक व्यक्तित्व वाले और बेहद सख्त अनुशासन वाले व्यक्ति थे। वाइलिन वादक दुर्बादल चटर्जी मन्ना डे के साथ बिताए अपने चार दशकों को याद करते हुए कहते हैं कि वह अपनी जड़ों को नहीं भूले थे। बाहर से सख्त होने के बावजूद वह अंदर से उतने ही नर्म दिल इंसान थे। मछली पकड़ना उनका प्रिय शौक था
चटर्जी ने बताया कि उनके बारे में कई लोगों को गलतफहमी थी कि वह बेहद सख्त और रूखे व्यवहार वाले हैं। असल में तो वह अंदर से बेहद नर्म दिल इंसान थे। अगर वह किसी को पसंद करते तो उसके कायल हो जाते और अगर नापसंद करते तो सख्त रहते। वह अजनबियों से घुलते-मिलते नहीं थे।
चटर्जी, मन्ना डे के बारे में एक मशहूर किस्सा बताते हैं कि एक बार हम उनके पुराने घर में बैठे थे। वह हारमोनियम लेकर गा रहे थे और मैं उनके सुरों को लिखता जा रहा था। अचानक एक लड़की दरवाजा खोलकर अंदर आई। मन्ना डे ने बिल्कुल रूखाई और सख्ती से कहा कि वह व्यस्त हैं और उसे वहां से जाने को कहा। लेकिन वह लड़की थोड़ी देर बाद फिर वहीं नजर आई।
इस बार लड़की ने आग्रह से पूछा कि क्या मन्ना डे का घर यही है। मन्ना डे ने दो टूक शब्दों में पूछा कि वह क्यों आई है, वह उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक थी और एक बार उनके चरण स्पर्श करना चाहती थी। यह सुनकर डे नर्म पड़ गए और उस लड़की को अंदर आने दिया। वह बेहद शालीन थे।