अभिनेता रितिक रोशन ने पर्दे पर एक विकलांग व्यक्ति से लेकर एक मानसिक रोगी तक के कई किरदार निभाए हैं और वह कहते हैं कि उन्हें कैमरे के पीछे जाने से भी कोई परहेज नहीं है, क्योंकि उन्हें चुनौतियां पसंद हैं।
भविष्य में निर्देशन के क्षेत्र में जाने को लेकर उन्होंने बताया, ‘मुझे अभिनय से प्रेम है। यह मेरा जुनून है। हो सकता है कि कभी मुझे लगे कि यह कैमरे के पीछे जाने का सही समय है, मैं जरूर जाऊंगा। मैं ऐसा व्यक्ति हूं जिसे चुनौतियां पसंद हैं।’ फिल्मकार राकेश रोशन के बेटे रितिक ने 2000 की हिट फिल्म ‘कहो न प्यार है’ से बॉलिवुड में एंट्री मारी। हिंदी फिल्मों में एक दशक से भी अधिक समय से काम कर रहे रितिक ने ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कोई मिल गया’, ‘क्रिश’, ‘धूम 2’, ‘जोधा अकबर’ और ‘गुजारिश’ जैसी फिल्में की हैं।
रितिक ने कहा, ‘मुझे अपना डेब्यू किए 17 साल हो चुके हैं और जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे उन दिनों की बहुत याद आती है। मुझे बॅालिवुड ने काफी कुछ सिखाया है और मुझे एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है। मेरे करियर में मुझे काफी पुरस्कार मिले हैं और मैं हर पल को संजो कर रखता हूं।’
वह हर वर्ष अपनी नई फिल्म के साथ खुद को और अधिक विकसित महसूस करते हैं। इस सफर के दौरान क्या कुछ ऐसा जिसे वह बदलना चाहते हैं, इस पर रितिक ने कहा, ‘नहीं, बिल्कुल नहीं! मेरा अब तक का सफर बहुत शानदार रहा है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में मुझे और सफलताएं प्राप्त होंगी। मैं अब तक कुछ सबसे बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रहा हूं और मुझे सबसे प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करने का मौका मिला है।’ रितिक कहते है कि वह अपने पेशेवर जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाना चाहते हैं। दो बच्चों के पिता रितिक कहते हैं, ‘मुझे किसी प्रकार का कोई पछतावा नहीं है और मैं कुछ भी बदलना नहीं चाहूंगा।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि बॉलिवुड में एक नए दौर की शुरुआत हो रही है जहां संदेश और मुद्दों को उठाने वाली फिल्में व्यवसायिक फिल्मों को पीछे छोड़ रही हैं, ऋतिक ने कहा, ‘भारतीय सिनेमा विश्व में सबसे बड़ा है और हमेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा है जो इसे अतुल्य बनाता है।’ वह मानते हैं कि दर्शकों पर फिल्मों का बहुत असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘सिनेमा मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम है और यह लोगों पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। आज के समय में फिल्में दर्शकों तक संदेश पहुंचाने का सबसे शक्तिशाली माध्यम हैं।’