इन दिनों बाजार में कई तरह के एनर्जी ड्रिंक उपलब्ध हैं. युवाओं खासकर प्लेयर्स और स्टूडेंट्स में इन ड्रिंक्स का खूब क्रेज है. ऐसा माना जाता है कि एनर्जी ड्रिंक पीने से काम करने की क्षमता बढ़ जाती है. यह सही भी हो सकता है, लेकिन एक चौंकाने वाली बात यह है कि कम उम्र में एनर्जी ड्रिंक लेना ना सिर्फ आपको बीमार बना सकता है बल्कि इससे आपकी मौत भी हो सकती है.
जी हां, ब्रिटेन में कुछ ऐसे ही उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें सबसे ताजा मामला एक रग्बी खिलाड़ी जोशुआ मैरिक का है. 19 साल के मैरिक की बीते साल जनवरी में मौत हो गई थी. तब उसके पिता ने कहा था कि आम दिनों की ही तरह मैरिक उस रात भी अपने कमरे में सोने के लिए गया, लेकिन अगले सुबह वह नहीं जगा. मैरिक की मौत की जांच कर रही टीम ने हाल ही बताया कि मैरिक एक हाई कैफीन एनर्जी ड्रिंक लेने का आदि था और संभव है कि उसी के असर से उसकी मौत हो गई हो.
मैरिक के शरीर की टॉक्सीकोलॉजी जांच करने वाले डॉक्टर ने भी इस बात की पुष्टि की है उसकी मौत के पीछे एनर्जी ड्रिंक एक कारण हो सकते हैं.
यह महज एक उदाहरण है. ब्रिटेन में आए दिन डॉक्टरों के पास ऐसे कई केस आ रहे हैं, जिनमें युवा सिरदर्द, पेट दर्द, नींद ना आना, बैचेनी और कई बार गंभीर परेशानियों के साथ आ रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार ऐसे युवाओं में अधिकतर हाई कैफिन एनर्जी ड्रिंक लेने के आदि होते हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई एनर्जी ड्रिंक के एक कैन में अमूमन 13 चम्मच चीनी और इसी के बराबर कैफीन की मात्रा दो कप कॉफी के अनुपात में होती है. यह मात्रा किसी भी युवा शरीर और दिमाग के लिए खतरा पैदा करने वाला हो सकता है. आम तौर पर युवा एक दिन में 3-4 कैन एनर्जी ड्रिंक पी लेते हैं. इसमें लगभग 640 मिग्रा कैफीन की मात्रा होती है, जबकि एक वयस्क को भी एक दिन में सिर्फ 400 मिग्रा कैफीन लेने की हिदायत दी जाती है.
ड्रिंक में कैफीन की मात्रा को लेकर हो नियम
जर्नल ऑफ कैफीन रिसर्च के एडिटर डॉ. जैक जेम्स कहते हैं, ‘कैफीन की मात्रा पर भी सिगरेट और अल्कोहल की तरह पाबंदी होनी चाहिए. हालांकि कैफीन ड्रिंक को हमारे समाज में साधारण ड्रिंक की तरह लिया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा को लेकर सजग रहना चाहिए. वरना इसके घातक परिणाम हो सकते हैं.’ एनर्जी ड्रिंक को लेकर कैम्पेन चला रहे कार्यकर्ताओं के अनुसार प्रशासन को ऐसे एनर्जी ड्रिंक पर उम्र सीमा तय कर देनी चाहिए.
बच्चों में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन
इंग्लैंड में एसोसिएशन ऑफ स्कूल एंड कॉलेज लीडर्स के जनरल सेक्रेटरी ब्रायन कहते हैं, ‘स्कूल में ऐसे कई बच्चे आते हैं जो दिन की शुरुआत नाश्ता करने की बजाय एनर्जी ड्रिंक लेकर करते हैं. ऐसे बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन साफ तौर पर दिखाई देता है. यही नहीं, ऐसे बच्चे आम तौर पर एक जगह शांति से बैठना पसंद नहीं करते और किसी भी काम में ध्यान नहीं लगा पाते हैं.’
अमेरिका में 2011 में एनर्जी ड्रिंक से संबंधित एक ऐसे ही सर्वेक्षण के अनुसार, अत्यधिक मात्रा में कैफीन लेने से दौरा पड़ने और सनक की समस्या के साथ ही मौत भी हो जाती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, लोग आम तौर पर इसे सॉफ्ट ड्रिंक की तरह मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. एनर्जी ड्रिंक में कैफीन की मात्रा सीधे दिमाग पर असर करती है, ऐसे में कम उम्र में इसके सेवन पर सख्त पाबंदी होनी चाहिए.