लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे से बीजेपी की बगिया में भूचाल आ गया है। हालांकि पार्टी ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया है और उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं। देर रात बीजेपी के कई आला नेता उन्हें मनाने उनके घर पहुंचे लेकिन कुछ बाहर निकलकर नहीं आया। लग यह रहा है कि आडवाणी इस बार संघ पर भी लाल हैं।
लंबे वक्त से पार्टी में अलग-थलग पड़े वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण…
लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे से बीजेपी की बगिया में भूचाल आ गया है। हालांकि पार्टी ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया है और उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं। देर रात बीजेपी के कई आला नेता उन्हें मनाने उनके घर पहुंचे लेकिन कुछ बाहर निकलकर नहीं आया। लग यह रहा है कि आडवाणी इस बार संघ पर भी लाल हैं।
लंबे वक्त से पार्टी में अलग-थलग पड़े वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के घर अचानक हलचल बढ़ गयी है। तमाम पार्टी पदों से इस्तीफे के बाद बीजेपी के नेता उनके घर के चक्कर काट रहे हैं। मोदी को आम चुनावों का मसीहा बनाकर बीजेपी अब आडवाणी की शरण में है पर राजनीति के धुरंधर आडवाणी ने इस्तीफा देकर ऐसा ब्रह्मास्त्र चला है कि बीजेपी के पास सिवाय उन्हें मनाने के कोई रास्ता नहीं बचा है।
पार्टी संसदीय बोर्ड ने पहले उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया बाद में देर रात उन्हें मनाने की कोशिशें जारी रहीं। अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार उनके घर पहुंचे। करीब एक घंटे तक सभी नेताओं ने आडवाणी के साथ मुलाकात की और उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी करने की कोशिश की। घर से रवाना होते हुए सुषमा स्वराज ने सिर्फ इतना ही कहा कि उनका इस्तीफा नामंजूर हो गया है।
मीटिंग में आडवाणी माने या नहीं इसको लेकर अभी कुछ साफ नहीं है लेकिन इसके बाद राजनाथ ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से फोन पर बात जरूर की है। भागवत ने पार्टी अध्यक्ष से मामले को राजीनामे से जल्द सुलझाने को कहा है। संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि वो आडवाणी का इस्तीफा किसी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे।
खबर यह है कि आडवाणी संघ नेता सुरेश सोनी पर गरम हैं और बीजेपी में संघ के नुमाइंदे रामलाल के इस्तीफे से कम पर राजी होने वाले नहीं हैं क्योंकि वह मानते हैं कि मोदी को कमान मिलने के पीछे संघ का हाथ है। पार्टी नेताओं के अलावा बाबा रामदेव भी रात में आडवाणी को मनाने पहुंचे, लेकिन मीडिया से बात करने में परहेज किया। अब उमा भारती भी आज आडवाणी से मुलाकात करेंगी और ये कहकर आडवाणी को मनाने की कोशिश करेंगी कि मोदी उनके शिष्य ही नहीं, बेटे जैसे रहे हैं। ऐसे में अब देखना ये है कि अपना मास्टरस्ट्रोक खेल चुके आडवाणी बीजेपी को राहत देते हैं या मुश्किलें बढ़ाकर अपनी ही बनाई पार्टी को मझधार में छोड़ देते हैं।