गोवा में बीजेपी का मंथन खत्म होने के बाद आडवाणी जयपुर में पर्दे पर अवतरित हुए। उन्होंने गोवा नहीं जा पाने की वजह अपनी बीमारी को बताया लेकिन मोदी पर कुछ नहीं बोले। वैसे कल पार्टी में बड़ा रोल मिलने के बाद मोदी ने दावा किया कि फोन पर आडवाणी ने उन्हें आशीर्वाद दे दिया है। खबर यह है कि आज मोदी खुद दिल्ली आकर अपने गुरु आडवाणी से आशीर्वाद लेंगे।
बीजेपी के…
गोवा में बीजेपी का मंथन खत्म होने के बाद आडवाणी जयपुर में पर्दे पर अवतरित हुए। उन्होंने गोवा नहीं जा पाने की वजह अपनी बीमारी को बताया लेकिन मोदी पर कुछ नहीं बोले। वैसे कल पार्टी में बड़ा रोल मिलने के बाद मोदी ने दावा किया कि फोन पर आडवाणी ने उन्हें आशीर्वाद दे दिया है। खबर यह है कि आज मोदी खुद दिल्ली आकर अपने गुरु आडवाणी से आशीर्वाद लेंगे।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी चुप्पी तोड़ी भी तो गोवा में पार्टी का मंथन खत्म होने के बाद। हालांकि अपनी बीमारी का जिक्र भी उन्होंने किया तो पार्टी की वजह से नहीं, बल्कि जयपुर में एक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा पाने को लेकर।
आडवाणी ने जयपुर के कार्यक्रम को लेकर तो अपने संदेश में विस्तार से चर्चा की, लेकिन उन्होंने न तो गोवा में हुई पार्टी की बैठक के मुद्दे का कोई जिक्र किया और न ही मोदी को मिली जिम्मेदारी पर अपनी कोई राय दी। सवाल ये है कि जब आडवाणी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जयपुर के कार्यक्रम को लेकर अपना संदेश दे सकते हैं तो क्या गोवा को लेकर ऐसा करना मुमकिन नहीं था? अगर उन्होंने गोवा में तीन दिनों तक चली बैठक में भी कभी अपना संदेश दिया होता तो शायद पार्टी के लिए भी ये मुफीद होता। आडवाणी और मोदी में मतभेद को लेकर बीजेपी की खूब किरकिरी हो चुकी है। यही वजह है कि विरोधी तो विरोधी सहयोगी दल के नेता भी बीजेपी में अंदरूनी कलह बढ़ने का जिक्र कर रहे हैं।
बीजेपी की तरफ से मिशन 2014 की जिम्मेदारी मोदी को सौंपे जाने के बाद जेडीयू के रुख को तो समझा जा सकता है, क्योंकि उसने पहले ही साफ कर दिया है कि मोदी उसे मंजूर नहीं। लेकिन जब बात आडवाणी के रुख की हो तो जाहिर है सवाल उठेंगे।