दिल्ली में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार के आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में दरी और नाड़े से खुद को फांसी लगा कर अपनी जीवन लीला खत्म कर दी जेल प्रशासन का यह कहना है। लेकिन राम सिंह के पिता मांगे राम यह मानने को तैयार ही नहीं हैं, उन्होंने इन बातों को बेबुनियाद बताया है। इस बीच घटना के अन्य अरोपियों ने फरियाद की है कि उन्हें मृत्यु दंड दे…
दिल्ली में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार के आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में दरी और नाड़े से खुद को फांसी लगा कर अपनी जीवन लीला खत्म कर दी जेल प्रशासन का यह कहना है। लेकिन राम सिंह के पिता मांगे राम यह मानने को तैयार ही नहीं हैं, उन्होंने इन बातों को बेबुनियाद बताया है। इस बीच घटना के अन्य अरोपियों ने फरियाद की है कि उन्हें मृत्यु दंड दे दिया जाए, लेकिन तिहाड़ जेल न भेजा जाए।तिहाड़ में राम सिंह के फांसी लगाने के बाद इस बलात्कार की घटना के अन्य 4 अरोपियों ने यह फरियाद की है कि उन्हें जेल में न भेजा जाए। उनका कहना है कि उन्हें चाहे तो मृत्यु दंड दे दिया जाए, गोली से उड़ा दिया जाए, लेकिन दोबारा तिहाड़ जेल में न भेजा जाए। जेल में उन्हें बहुत बुरे माहौल का सामना करना पड़ रहा है। मांगे राम ने बताया कि उसके बेटे राम ने आत्महत्या नहीं की, उसकी हत्या की गई है। वह आत्महत्या कर ही नहीं सकता था, क्योंकि वह अपनी जिंदगी से बहुत प्यार करता था। लेकिन जेल में उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार हो रहा था, उसे साथी जेलियों ने ब्लेड मारे थे। साथ ही उन्होंने बताया कि तिहाड़ में जेलियों को सुबह 5 बजे जगा दिया जाता है, फिर राम सिंह पांच बजे के बाद जान कैसे दे सकता है।हालांकि मांगे राम की बातों से शक सुई जेल प्रशासन की ओर घुमती है और लगता है कि राम सिंह की मौत में जरूर कोई बात ऐसी है, जिसे जेल प्रशासन छिपा रहा है। लेकिन आज एम्स में राम सिंह के शव का पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें यह बात सामने आई कि राम सिंह की मौत गले में फंदा बांधकर लटकने से हुई है।वैसे जानकार मानते हैं कि तिहाड़ जेल में जेलियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है। वहां जेलियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। पुराने कैदी नए कैदियों के साथ ऐसी-ऐसी हरकतें करते हैं, जिन्हें सार्वजनिक तौर पर बताया भी नहीं जा सकता है। राम सिंह के पिता मांगे राम ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा था कि जेल में उसके साथ कुकर्म होता था।आम लोगों के लिए ऐसे बर्ताव को सहन करने से अच्छा मौत को गले लगाना होता है। शायद इसीलिए राम सिंह ने भी तिहाड़ के इस नर्क से मुक्ति पाने के लिए अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।