शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के स्कूली छात्रों को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने जीवन में शिक्षक की महत्ता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा बच्चों का चरित्र गढ़ती है और बच्चे राष्ट्र का. आज की तारीख में शिक्षक दिवस की महत्ता कम हो गई है. यह सिर्फ छुट्टी और आयोजन तक सीमित हो गया है. हमें इसके बारे में विचार करना होगा.
उन्होंने बच्चों को खेलकूद में रुचि दिखाने के लिए कहा. मोदी ने बच्चों से कहा कि खेलकूद से जीवन खिलता है. हमारी दुनिया सिर्फ किताबों और कंप्यूटर तक सीमित नहीं होनी चाहिए. इससे बाहर की दुनिया और भी खूबसूरत है.
मोदी का भाषण
आज शिक्षक दिवस है. धीरे-धीरे इस प्रेरक प्रसंग की अहमियत कम होती जा रही है. शिक्षकों को अवॉर्ड मिलना और कुछ समारोह का आयोजन, यह यहीं तक सीमित हो गया है. आवश्यकता है कि हम समाज और जीवन में शिक्षक की महत्ता को उजागर करें. जब तक हम उस महत्व को स्वीकार करेंगे न शिक्षक के प्रति गौरव पैदा होगा और नई पीढ़ी में इसके लिए उत्साह पैदा होगा. इसीलिए इस महान परंपरा को आगे कैसे बढ़ाए जाए इस पर चिंतन और बहस करने की आवश्यकता है.
क्या कारण है कि सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी टीचर बनना पसंद नहीं करता. इस सवाल का जवाब खोजना होगा. ऐसा माना जाता है कि सारी दुनिया में अच्छे टीचर नहीं मिल रहे है. क्या भारत ऐसा सपना नहीं देख सकता है कि हम दुनिया को बेहतरीन टीचर देंगे.
15 अगस्त को मैंने एक इच्छा जाहिर की थी कि देश के हर स्कूल में बालिकाओं के लिए शौचालय की बात की थी. हकीकत यही है कि आज भी देश के कई स्कूलों में यह नहीं है. हमें इस परिस्थिति को बदलना है. स्वच्छता के प्रति हमारे बच्चों का रवैया बदलना होगा. हमारा राष्ट्रीय चरित्र कैसा बने इसके बारे में प्रयास करना है.
एक विद्यार्थी के नाते आपके भी बहुत सारे सपने होंगे. मैं नहीं मानता कि परिस्थतियां किसी इंसान को रोक पाती हैं. हमारे बालकों में इसका दम है. टेक्नॉलोजी का महत्व बढ़ रहा है. मेरा सभी शिक्षकों से आग्रह है कि वह इसके बारे में सीखें. आज के बच्चों को टेक्नोलॉजी से वंचित ना रखें. यह सामाजिक क्राइम है. वह विश्व को इस नजरिए से भी जाने.
इस उम्र में खेल-कूद नहीं है तो जीवन खिलता नहीं है. किताब, टीवी और कभी कंप्यूटर के दायरे में जिंदगी नहीं दबाए. दुनिया इसके भी आगे है. पाठ्यक्रम की किताब पढ़ने का शौक हर किसी को है. पर बच्चों को जीवनी पढ़ने की आदत डालनी चाहिए. ये आपको प्रेरणा देगी. आपका चरित्र बनाने का काम करेगी. स बकुछ गूगल बाबा पर मत छोड़ें. एक बार फिर आप सबको शिक्षक दिवस की बधाई.
जीवन में शिक्षा बिन कुछ नहीं: स्मृति ईरानी
शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से पहले कार्यक्रम की शुरुआत मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने की. इस मौके पर देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का याद करते हुए उन्होंने जीवन में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया. स्मृति ईरानी ने कहा कि हम बचपन से शीक्षित होना शुरू होते हैं और यह सिलसिला मरने तक जारी रहता है. आज की तारीख में कोई बच्चा इंजीनियर बनना चाहता है तो कोई डॉक्टर. पर शिक्षक बनने की चाहत बहुत कमों की होती है. हकीकत यह है कि एक शिक्षक भी जाने अनजाने में अपने छात्र या छात्रा से सीखता है. इस संबंध में स्मृति ईरानी ने एक कहानी भी सुनाई.