पूर्व सेनाध्यक्षों व रक्षा विशेषज्ञों ने रक्षा बजट की आलोचना

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थलसेना के पूर्व अध्यक्षों और सैन्य विशेषज्ञों ने वर्ष 2013-14 आम बजट में रक्षा बजट आवंटन की आलोचना की है। हालिया आम बजट के रक्षा बजट के बारे में पूर्व सेना अध्यक्षों और विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा सुरक्षा हालात के मद्देनजर यह पर्याप्त नहीं है ।गौरतलब है कि इस साल का रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.79 फीसदी है । थलसेना के पूर्व अध्यक्ष… पूर्व सेनाध्यक्षों व रक्षा विशेषज्ञों ने रक्षा बजट की आलोचना

थलसेना के पूर्व अध्यक्षों और सैन्य विशेषज्ञों ने वर्ष 2013-14 आम बजट में रक्षा बजट आवंटन की आलोचना की है। हालिया आम बजट के रक्षा बजट के बारे में पूर्व सेना अध्यक्षों और विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा सुरक्षा हालात के मद्देनजर यह पर्याप्त नहीं है ।गौरतलब है कि इस साल का रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.79 फीसदी है । थलसेना के पूर्व अध्यक्ष वी पी मलिक ने बताया कि जब चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों का रक्षा बजट उनकी जीडीपी का तीन फीसदी है, ऐसे समय में भारत का रक्षा बजट जीडीपी के दो फीसदी से भी कम है ।मलिक ने कहा कि चीन का तीन फीसदी से ज्यादा, तकरीबन 3.5 फीसदी का बजट है । पाकिस्तान का 4.5 फीसदी है । हम भी मांग करते रहे हैं कि इसे तीन फीसदी रखा जाए लेकिन हकीकत तो यह है कि यह पहले से भी कम होता जा रहा है ।मालूम हो, वित्तीय वर्ष 2013-2014 के लिए रक्षा मंत्रालय को 2.03 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह आवंटन 1.79 लाख करोड़ रुपए था । जबकि जीडीपी के हिसाब से इस वर्ष के बजट में रक्षा क्षेत्र को पिछले साल के 1.90 फीसदी की जगह सिर्फ 1.79 फीसदी हासिल हुआ ।मलिक ने आगे कहा कि रक्षा बलों के लिए धनराशि आवंटित करते समय खरीद में देरी और महंगाई जैसे कारकों का खयाल नहीं रखा गया ।