कुत्ते के बच्चे संबंधी अपनी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर चल रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस पर पलटवार किया और उसकी बहुप्रचारित खाद्य सुरक्षा योजना की प्रभावोत्पादकता पर सवाल उठाया एवं उस पर राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से दुनिया की नजर में राष्ट्रीय सम्मान को नष्ट करने का आरोप लगाया।
मोदी ने कहा, वह (कांग्रेस) देश के…
कुत्ते के बच्चे संबंधी अपनी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर चल रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस पर पलटवार किया और उसकी बहुप्रचारित खाद्य सुरक्षा योजना की प्रभावोत्पादकता पर सवाल उठाया एवं उस पर राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से दुनिया की नजर में राष्ट्रीय सम्मान को नष्ट करने का आरोप लगाया।
मोदी ने कहा, वह (कांग्रेस) देश के सामने खाद्य सुरक्षा विधेयक लाई है और दावा कर ही है कि मानो भोजन (लोगों की) थालियों में पहले ही पहुंच गया हो। खाद्य सुरक्षा विधेयक को दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी पहल है और यह पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की परिकल्पना है।
मोदी ने घोटाले से दागदार राष्ट्रमंडल खेल को लेकर कांग्रेस पर हमला करने के लिए आरोपों के घेरे में आए आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के गढ़ को चुना।
उन्होंने यहां फर्गुसन कॉलेज में छात्रों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, दो देशों ने दो खेलों की मेजबानी की। दक्षिण कोरिया ने ओलंपिक की मेजबानी की जबकि भारत ने राष्ट्रमंडल खेल की मेजबानी की। कोरिया ने ओलंपिक के माध्यम से अपने लिए सम्मान लाया जबकि 120 करोड़ जनता वाले हमारे देश ने दुनिया की नजर में अपना सम्मान खो दिया।
मोदी ने कहा, एक देश वैश्विक बिरादरी में अपने लिए प्रतिष्ठा पाने के लिए खेल का इस्तेमाल करता है जबकि दूसरा अपने लिए बदनामी लाता है। बहरहाल गुजरात मुख्यमंत्री ने 2002 के गुजरात दंगे से निबटने के तौर तरीकों का बचाव करने एवं अपने कुत्ते के बच्चे एवं मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं संबंधी बयानों को लेकर विरोधियों द्वारा की जा रही आलोचना का जवाब नहीं दिया।
बढ़ते साइबर अपराधों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने गुजरात में दुनिया के पहले अपराध विज्ञान यूनीवर्सीटी की स्थापना की। उन्होंने कहा, अब कांग्रेस कहेगी कि इसमें नया क्या है? आप जरा विचार कीजिए, मैं महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में अपराध विज्ञान में चल रहे पाठ्यक्रम की बात नहीं कर रहा। मैं अपराध विग्यान विश्वविद्यालय की बात कर रहा हूं जो दुनिया में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है।
राजीव गांधी का नाम लिए बगैर मोदी ने 21वीं सदी में नये भारत का निर्माण करने संबंधी दिवंगत कांग्रेस प्रधानमंत्री का हवाला दिया। उन्होंने कहा, हमारे कान 21वीं सदी के बारे में सुन-सुनकर पक गए हैं। क्या किसी के पास का इस बात का विजन है कि कैसे भारत को 21वीं सदी में ले जाया जाए।
मोदी ने कहा, यदि किसी के पास इस बात का विजन होता कि भारत को नयी सहस्त्राब्दि में कैसे ले जाया जाए तो हम वहां नहीं खड़े होते, जहां खड़े हैं। उन्होंने देश में निराशा के माहौल को लेकर अफसोस प्रकट किया लेकिन कहा, मैंने उम्मीद नहीं खोई है। मैं इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हूं। यह जरूरी है कि हम इस निराशा से बाहर निकलें।
मोदी ने कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार में चल रही कूटनीति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, मैं चकित हूं कि पड़ोस में भी हमारा कोई दोस्त नहीं बचा।
रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा, देश पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर जितना खर्च करता है, उससे कहीं ज्यादा वह रक्षा उपकरणों एवं हथियारों के आयात पर खर्च करता है। क्या हमारे पास एंसे इंजीनियर नहीं है जो ऐसे उपकरण तैयार करें। मैं आपको बताता हूं हमारे इंजीनियंरिंग कॉलेजों में रक्षा इंजीनियरिंग नामक विषय नहीं है।
उन्होंने कहा, देश में आज निराशा का माहौल है। मोदी ने पश्चिमीकरण किए बगैर भारत को आधुनिक बनाने का आह्वान किया।अपने भाषण में शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में गुजरात सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए मोदी ने कहा, राष्ट्रनिर्माण के लिए मेधा को सींचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, शिक्षा राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हम एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था चाहते हैं तो हमें अच्छे शिक्षक बनाने होंगे लेकिन अच्छे शिक्षकों का निर्माण अभी प्राथमिकता नहीं है।
गुजरात में इंफोसिस के नारायणमूर्ति की अगुवाई में नवोन्मेष प्रोत्साहन केंद्र गठित किए जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, दूसरों और हममें में बड़ा अंतर है। दूसरे लोगों की रचि सत्ता में है जबकि हम सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हैं। वे सत्ता चाहते हैं, हम चाहते हैं कि इस देश का प्रत्येक नागरिक सशक्त बने।
उन्होंने कहा कि पहले नारायणमूर्ति आयकर छापे के डर से इस परियोजना की अगुवाई करने को अनिच्छुक थे लेकिन बाद में वह मान गए। उन्होंने कहा, मैं यहां पर कोई राजनीतिक बयान नहीं देना चाहता, लेकिन क्या व्यवस्था से उम्मीदे पूरी हुई हैं?
मोदी ने शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा, पहले शिक्षा व्यक्ति निर्माण मिशन था। अब यह पैसा बनाने का मिशन बन गया है। क्या यही हमारी परंपरा है? उन्होंने वर्तमान समस्याओं का हल ढूढ़ने के लिए सार्थक अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया।