गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे स्थित फर्ग्युसन कॉलेज में दिए भाषण में छात्रों को संबोधित करते हुए रविवार को कहा है कि पिछले 60 वर्षों में भारत की शिक्षा पद्धित मैन मेकिंग से बदल कर मनी मेकिंग पद्धित में तब्दील हो गई है।
उन्होंने यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर निशाना साधते कहा कि केंद्र यह सोच रहा है कि मात्र विधेयक…
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे स्थित फर्ग्युसन कॉलेज में दिए भाषण में छात्रों को संबोधित करते हुए रविवार को कहा है कि पिछले 60 वर्षों में भारत की शिक्षा पद्धित मैन मेकिंग से बदल कर मनी मेकिंग पद्धित में तब्दील हो गई है।
उन्होंने यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर निशाना साधते कहा कि केंद्र यह सोच रहा है कि मात्र विधेयक लाने भर से जररतमंदों तक भोजन पहुंच जाएगा। बीजेपी चुनाव अभियान समिति के प्रमुख मोदी ने पुणे के फर्ग्युसन कालेज के छात्रों से कहा, दिल्ली की सरकार सोचती है कि केवल खाद्य सुरक्षा विधेयक भर लाने से आपकी थाली में भोजन पहुंच जाएगा।
मोदी ने कहा, वर्तमान समय में देश में निराशा की भावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का पाश्चात्यीकरण किये बिना उसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, देश का निर्माण करने के लिए प्रतिभाओं का विकास करने की जरूरत है।
गौरतलब है एक संवाद समिति के साथ साक्षात्कार में अपनी कुत्ते के बच्चे की टिप्पणी को लेकर एक बार फिर विरोधियों के निशाने पर आये मोदी ने फर्गुसन कालेज के छात्रों के साथ बातचीत की। मोदी वहां पर रंगभूमि का उद्घाटन करने के लिए गए थे।
मोदी ने कहा कि शिक्षा एक राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा, यदि हम एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था चाहते हैं तो हमें अच्छे शिक्षक बनाने होंगे जो कि अभी तक प्राथमिकता नहीं रही है।
मोदी ने कहा, अन्य और हमारे में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा, अन्य लोगों की रचि सत्ता में होती है। हम सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हैं। वे सत्ता चाहते हैं, हम चाहते हैं कि इस देश का प्रत्येक नागरिक सशक्त बने। उन्होंने कहा, मैं यहां पर कोईराजनीतिक बयान नहीं देना चाहता, लेकिन क्या व्यवस्था से उम्मीदे पूरी हुई हैं?
उन्होंने कहा, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यदि हमने आधुनिक शिक्षा अपनायी होती तो इन 60 वर्षों में हम बहुत कुछ कर पाये होते। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में निराशा का वातावरण है (लेकिन) मैं इस विचार का समर्थन नहीं करता। उन्होंने जोर देकर कहा, यह आवश्यक है कि हम इस विचार से बाहर निकलें।
मोदी ने कहा, हमारी 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। युवाओं की इतनी बड़ी संख्या का अच्छा इस्तेमाल हो सकता है यदि कोई यह कार्य करने वाला हो। उन्होंने भारतीय और अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था की तुलना करते हुए कहा कि अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में व्यक्ति की रचनात्मकता विकसित करने के तरीके खोजे जाते हैं।
मोदी ने भारत की प्राचीन गुरकुल शिक्षा व्यवस्था के साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया कि कैसे पूरे विश्व के लोग भारत के नालंदा जैसे शिक्षा केंद्र में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे।
उन्होंने कहा, पहले शिक्षा व्यक्ति निर्माण मिशन था। अब यह पैसा बनाने का मिशन बन गया है। क्या यही हमारी परंपरा है? उन्होंने कहा, यहां तक कि हमारा देश जब गुलाम था, हमारे महान नेताओं ने इस शिक्षा व्यवस्था के बारे में सोचा। क्या हम स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ भी नहीं कर सकते थे?
उन्होंने कहा, हम आधुनिकीकरण चाहते हैं पाश्चात्यीकरण नहीं। उन्होंने दक्षिण कोरिया का उदाहरण दिया और उस देश द्वारा की गई प्रगति की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, दक्षिण कोरिया ने भी उसी समय स्वतंत्रता प्राप्त की। यह देश गुजरात के बराबर है। इस छोटे से समय में उसने विकसित देशों में स्थान बना लिया है। ऐसा छोटा सा देश ओलंपिक खेलों की मेजबानी करता है। खेलों के जरिये उसने विश्व में एक स्थान बना लिया है।