मोहन भागवत से मिले लालकृष्ण आडवाणी

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात दिल्ली में आरएसएस के झंडेवालन में केशवकुंज दफ्तर में हुई।

आडवाणी और भागवत की मुलाकात एक घंटे से ज्यादा चली। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई से साफ नहीं हो पाया है लेकिन बताया जा रहा है कि मोदी को बीजेपी चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने, आडवाणी की संघ…

मोहन भागवत से मिले लालकृष्ण आडवाणी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात दिल्ली में आरएसएस के झंडेवालन में केशवकुंज दफ्तर में हुई।

आडवाणी और भागवत की मुलाकात एक घंटे से ज्यादा चली। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई से साफ नहीं हो पाया है लेकिन बताया जा रहा है कि मोदी को बीजेपी चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने, आडवाणी की संघ के कई नेताओं से नाराजगी, जेडीयू के एनडीए गठबंधन से बाहर आने समेत कई मुद्दे चर्चा में शामिल थे।

लालकृष्ण आडवाणी ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से भेंट की और भाजपा में नरेन्द्र मोदी का कद बढ़ाए जाने तथा जदयू के राजग से नाता तोड़ लेने सहित हाल के घटनक्रमों पर चर्चा की।    संघ के यहां स्थित कार्यालय केशवकुंज में दोनों नेताओं के बीच लगभग 75 मिनट तक बातचीत हुई। भाजपा के गोवा अधिवेशन में मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के कथित विरोध में 10 जून को भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे देने के बाद आडवाणी की भागवत से यह पहली मुलाकात है।  इससे पहले भागवत ने ही फोन पर बातचीत करके आडवाणी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाया था। उनके कहने पर उन्होंने 11 जून को इस्तीफा वापस ले लिया था। भागवत ने आडवाणी को आश्वासन दिया था कि पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।

आडवाणी का भागवत से कल मिलने का कार्यक्रम था लेकिन आडवाणी की तबीयत खराब होने के चलते मुलाकात नहीं हो सकी थी। इससे पहले मोदी गोवा बीजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी बीमार होने के चलते नहीं पहुंचे थे।

बता दें कि आडवाणी ने कहा कि उन्होंने मोदी के कारण नहीं, बल्कि भाजपा की कार्यप्रणाली के अंदाज के विरोध में इस्तीफा दिया था।

 

सूत्रों ने बताया कि आडवाणी और भागवत के बीच उक्त सभी विषयों पर चर्चा हुई। बताया जाता है कि आडवाणी संघ के संयुक्त महासचिव सुरेश सोनी और पार्टी में संघ की ओर से नियुक्त भाजपा महासचिव रामलाल के भी खिलाफ हैं और चाहते हैं कि उन्हें उनके पदों से हटाया जाए। यह, हालांकि स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस बातचीत में आडवाणी की शिकायतें किस हद तक दूर हुई हैं।

संघ की मर्जी से ही मोदी का कद भाजपा में बढ़ाया गया है और यह निश्चित है कि इस निर्णय पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा। आडवाणी का कहना है कि मोदी को यह नया पद दिए जाने से सहयोगी दल साथ छोड़ देंगे और राजग कमजोर होगा। मोदी के मुद्दे पर जदयू के राजग से हट जाने के चलते आडवाणी का यह तर्क मजबूत हुआ है।

मोदी ने 18 जून को आडवाणी से मुलाकात करके उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया था। आडवाणी से हुई उनकी बातचीत को अच्छी बताया गया था और कहा गया था कि वह सकारात्मक नोट पर समाप्त हुई।

दिलचस्प बात यह है कि आडवाणी ने पार्टी संबंधी अपनी शिकायतें संघ के सम्मुख रखी हैं, जबकि वह हमेशा इस बात के विरोधी रहे हैं कि पार्टी का संघ सूक्ष्म प्रबंधन करे।

आडवाणी से पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एम वेंकैया नायडु ने भी भागवत से भेंट की।