नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि दागी सांसदों को बचाने वाले विधेयक की वापसी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कारण नहीं बल्कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की वजह से हुई है। 

आडवाणी ने शुक्रवार अपने ब्लॉग में कहा कि राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश के लौटाए जाने की आशंका के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा की गई नुकसान की भरपाई की कोशिशों के तहत राहुल ने इस अध्यादेश की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। 

आडवणी ने लिखा है कि अध्यादेश के कारण देश भर में जो स्थिति बनी, उससे निपटने में राहुल गांधी नहीं बल्कि राष्ट्रपति की भूमिका अहम थी। उन्होंने राष्ट्रपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि इस उच्च पद पर पहले बैठे बाकी कांग्रेसियों की तरह वह “रबर स्टैम्प” नहीं है। 

आडवाणी ने कहा कि राहुल ने अपने साढे तीन मिनट के भाषण में कहा कि यह अध्यादेश पूरी तरह बकवास है और इसे फाडकर फेंक देना चाहिए। लेकिन उन्होंने एक भी कारण नहीं बताया कि आखिरकार किस वजह से यह अध्यादेश गलत है। 

भाजपा नेता ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली 26 सितंबर को राष्ट्रपति से मिले और उन्हें ज्ञापन देकर बताया कि यह अध्यादेश पूरी तरह से असंवैधानिक एवं गैरकानूनी ही नहीं बल्कि अनैतिक भी है क्योंकि इससे जुडा विधेयक राज्य सभा के स्थाई समिति के समक्ष विचाराधीन हैं। 

इस मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सुशील कुमार शिंदे,कपिल सिब्बल और कमलनाथ को बुलाया। ऎसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश पर दस्तखत करने को लेकर अपनी आपत्तियां गिनाई जिसके बाद मंत्री चौंकन्ने हो गए। उन्हें लगा कि अगर राष्ट्रपति अध्यादेश को दस्तखत किए बगैर लौटा देंगे तो सरकार के लिए बड़ा धक्का होगा। 

आडवाणी ने लिखा है कि इस स्थिति के बाद सोनिया गांधी ने नुकसान की भरपाई के बारे में सोचा और इसके लिए राहुल का सहारा लिया। लेकिन वह उन्हें यह बताना भूल गए कि आखिरकार वह इस काम को कैसे करेंगे। राहुल को सिर्फ इतना ही कहना चाहिए था कि सरकार को समीक्षा करने की जरूरत हैं। उनके सिर्फ इतना भर कहने से ही मकसद हल हो जाता।

आडवाणी ने कहा कि राहुल गांधी ने जो किया उसने प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि संप्रग सरकार को भी कहीं का नहीं छोड़ा हैं। पहले दिन से ही संप्रग का अर्थ मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी हैं। आखिरकार बकवास शब्द का जो इस्तेमाल किया गया है। वह सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों पर ही लागू नहीं होता सोनिया गांधी भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। 

आडवाणी ने अपने ब्लॉग में अमेरिका के दौरान प्रधानमंत्री की एक पत्रकार से हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि इस अध्यादेश पर 21 सितंबर को हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में सहमति हुई थी जिसमें सोनिया गांधी भी उपस्थित थीं। 

इस अध्यादेश की वापसी के लिए केवल राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया जाना चाहिए जिन्होंने संप्रग की भारी गलती को सुधारा और यह साबित किया कि वह राष्ट्रपति के उच्च पद पर बैठे बाकी कांग्रेसियों की तरह नहीं हैं। 

By parshv