जम्मू-कश्मीर में शपथ ग्रहण एक मार्च को, मोदी करेंगे शिरकत

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नई दिल्ली। काफी माथा-पच्ची के बाद जम्मू कश्मीर में भाजपा- पीडीपी गठबंधन की सरकार सत्ता संभालने जा रही है। साझा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में मुफ्ती मुहम्मद सईद रविवार को शपथ लेंगे। इससे पहले आज सईद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर नई सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर अंतिम मुहर लगाई। दोनों के बीच करीब करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। बताया गया है कि भाजपा सरकार में गृह, वित्त और पीडब्लूडी मंत्रालय चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी भी रविवार को शपथग्रहण समारोह में शामिल होंगे।

मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि जम्मू कश्मीर शांति चाहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत भी जरूरी है। मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी सरकार लोगों की आकांक्षाओं पर खड़ी उतरेगी और प्रदेश में विकास की गति को रफ्तार मिलेगी। दिल्ली में मुफ्ती मोहम्मद सईद से भाजपा नेता जितेंद्र सिंह आैर राम माधव भी मिले। जितेंद्र सिंह का कहना है कि जम्मू कश्मीर में जनमत के मुताबिक यह सबसे अच्छा फैसला है।

सूत्रों के मुताबिक सईद सरकार में 25 मंत्री शपथ लेंगे। इनमें से 12 भाजपा से होंगे और 13 पीडीपी से। शपथ ग्रहण समारोह सुबह 11 बजे प्रस्तावित है। गौरतलब है कि परदे के पीछे सात हफ्तों की बातचीत के बाद मंगलवार को पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दोनों दलों की साझा सरकार बनने का औपचारिक एलान किया था। घाटी में पहली बार भाजपा के सहयोग से बनने वाली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे।

विवादित मुद्दों को रखा पीछे

उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो भाजपा और पीडीपी के नेताओं के बीच एक महीने की बातचीत के बाद ही साझा सरकार बनना तय हो गया था। दोनों दलों की राय थी कि नई सरकार में राज्य के सभी वर्गो और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने के लिए भाजपा और पीडीपी को मिलकर साझा सरकार बनाना जरूरी है।

पीडीपी को अधिकांश सीटें कश्मीर क्षेत्र में मिली है, जबकि जम्मू संभाग में भाजपा को भारी समर्थन मिला है। लेकिन नई सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम को तय में एक महीन से ज्यादा वक्त लग गया। अनुच्छेद 370, अफस्पा और अलगाववादी नेताओं से बातचीत जैसे मुद्दों पर पीडीपी और भाजपा की राय एक-दूसरे के विपरीत रही है।

दोनों दलों ने अपने पुराने रुख में नरमी दिखाते हुए इन विवादित मुद्दों को पीछे रखने का फैसला किया। 23 दिसंबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही दोनों दलों के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत चल रही थी। हालांकि, भाजपा के सूत्र अभी भी तीन-तीन साल मुख्यमंत्री के फार्मूले की बात एक बार प्रधानमंत्री से सईद की मुलाकात के समय आने की संभावना से इन्कार नहीं कर रहे हैं।