इमालवा – जम्मू |  कश्मीर में गत दिनों क्रिकेटर बन कर किये गए आतंकी हमले के बाद सीआरपीएफ़ के जवान केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को बदलने की मांग कर रहे है | शांति लौटने के लिए घाटी में तैनात इन जवानो के हाथों में हथियारों के स्थान पर लाठियां पकड़ा दी गई थीं। लेकिन अब केरिपुब के जवान इन लाठियों के बल पर कश्मीर के हालात से निपटनें को राजी नहीं हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, कश्मीर में तैनात केरिपुब ने केंद्र व राज्य सरकार को इस संबंध में लिखा है। लिखे गए पत्र में चेतावनी भरे अंदाज में कहा गया है कि या तो केरिपुब के जवानों को हथियार थामने दो या फिर उन्हें कश्मीर से हटा लो।

फिलहाल केरिपुब के वरिष्ठ अधिकारी इस पत्र में दी गई चेतावनी पर चुप्पी साधे हुए हैं। दरअसल कश्मीर सरकार इस भ्रम में थी कि कश्मीर से आतंकवाद खत्म हो गया है। बकौल, कश्मीरी नेताओं और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के, कश्मीर में अब कानून-व्यवस्था की समस्या है।

नतीजतन कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के हाथों में बंदूकों के स्थान पर लाठियां थमाई जाने लगीं। इसका परिणाम भी सामने है। दो दिन पहले पांच निहत्थे जवानों को फिदायीनों ने मौत के घाट उतार दिया। पिछले हफ्ते ही इंडिया रिजर्व पुलिस के दो जवानों को उस समय करीब से गोली मारी गई थी, जब वे बाजार में लाठियां लेकर डयूटी कर रहे थे।

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, कानून व्यवस्था से निपटने के लिए बनाए गए नियमों के मुताबिक, जितने जवान तैनात किए जाते हैं उनमें से सिर्फ 15 परसेंट को ही अपने साथ हथियार लेने की अनुमति होती है। बाकी को लाठियां थमाने के साथ-साथ पत्थरबाजी से बचने का सामान दिया जाता है। प

र केरिपुब अब इन नियमों को बदलने का जोर डालने लगी है। केरिपुब के अनुसार, कश्मीर में आतंकवाद अभी जिन्दा है। यह मात्र कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है। केरिपुब के एक अधिकारी के बकौल:’ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को तत्काल फैसला लेना होगा कि वह या तो इन नियमों में बदलाव करे या फिर हमें यहां से मार्च करने का हुक्म दे।’ हम अपने जवानों को यूं ही आतंकी हमलों का शिकार होने के लिए नहीं छोड़ सकते।

By parshv