नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्रधिकरण [ट्राई] कानून में संशोधन के लिए पेश विधेयक का सपा, बसपा, एनसीपी, एआइएडीएमके और टीएमसी ने समर्थन किया, जबकि कांग्रेस, आरजेडी, लेफ्ट और जेडीयू ने बिल का विरोध किया। इस संशोधन से ट्राई के पूर्व अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सचिव नियुक्त करने में आ रही कानूनी अड़चन अब समाप्त हो जाएगी। सपा के सुर में बसपा ने भी अपना सुर मिलाया है। मायावती ने कहा है कि सरकार कैसे चलानी है, इसका फैसला लेने का हक केंद्र को है। राज्यसभा में ट्राई बिल संशोधन पेश होगा, तो हम उसका समर्थन करेंगे। वहीं अंतिम समय में अपना रुख बदलते हुए टीएमसी भी सरकार के साथ खड़ी हो गई और बिल पास हो गया।
वहीं, कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी एनसीपी ने मिश्र की नियुक्ति के मुद्दे पर संप्रग के रुख से अलग राय जाहिर करते हुए पवार ने कहा, हम संसद में बिल का विरोध नहीं करेंगे। ऐसा अंतिम कदम उठाने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी छोड़कर रिलायंस या किसी और निजी क्षेत्र में नौकरी करने जा रहा है। नृपेंद्र मिश्र सरकारी नौकरी में ही लौटे हैं। एनसीपी अध्यक्ष ने पंजाब कैडर के आइएएस अधिकारी टीकेए नायर का उदाहरण दिया जो सेवानिवृत्ति के बाद संप्रग सरकार के समय में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाए गए थे।
कांग्रेस ने ट्राई कानून में बदलाव के मोदी सरकार के कदम पर आपत्ति की है। ज्ञातव्य है कि राजनीतिक पार्टियों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ट्राई एक्ट में संशोधन का विधेयक पेश किया है ताकि यह नया कानून 28 मई को जारी उस अध्यादेश का स्थान ले सके जिसके जरिये ट्राई कानून में संशोधन कर मिश्र की नियुक्ति की गई थी। ट्राई कानून के मुताबिक, इसका अध्यक्ष रिटायर होने के बाद किसी सरकारी पद को स्वीकार नहीं कर सकता है।