कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर संसद में दूसरी बार बयान देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि उसकी गतिविधियों पर खुफिया निगाह रखी जा रही है। अगर मसरत या उसके साथियों ने कोई गलत कदम उठाया तो उस पर फिर कार्रवाई होगी। राजनाथ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को भेजी एडवाइजरी में कहा गया है कि मसरत के खिलाफ दर्ज सभी 27 आपराधिक मामलों की व्यापक जांच कराई जाए। उन्होंने सदन में बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से मसरत को मिली जमानत को चुनौती देने के लिए भी कदम उठाने को कहा है।
राज्य सरकार को दिए गए परामर्श (एडवाइजरी) में कहा गया है कि अगर मसरत या उनके सहयोगियों की देश की एकता अखंडता या कानून व्यवस्था पर असर डालने वाली कोई गतिविधि सामने आती है तो लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत उसकी समीक्षा करके तुरंत उचित कार्रवाई की जाए। सूत्रों ने कहा कि संघीय ढांचे के मद्देनजर केंद्र सरकार ने जितना कठोर तरीके से संभव हो सकता था वह परामर्श राज्य सरकार को दिया है। मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि यह भविष्य के लिए एक तरह से कड़ी चेतावनी भी है। राज्य सरकार ने भी भरोसा दिया है कि अगर मसरत के खिलाफ कुछ गलत बातें सामने आती हैं तो कानून के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी। मसरत को हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं केंद्र को भेजी ताजा रिपोर्ट में मुफ्ती सरकार ने कहा है कि मसरत को हिरासत में रखने का कोई नया आधार नहीं है। इसकी पुष्टि जम्मू के जिला मजिस्ट्रेट ने भी की है। राजनाथ सिंह ने राज्य की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि मसरत पर 27 मामले हैं।
फरवरी 2010 से उसके खिलाफ जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम 1978 के तहत आठ बार मामले दर्ज किए गए हैं। केंद्र से तालमेल बनाने को कहा गृहमंत्री ने कहा, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जम्मू एवं कश्मीर में शांति, व्यवस्था और सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए मसरत पर निगरानी का काम केंद्र सरकार और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के तालमेल से किया जाए। गृहमंत्री ने कहा कि वह सदन को पहले ही बता चुके हैं कि केंद्र सरकार मसरत की रिहाई पर राज्य सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। इसलिए नहीं हुई गिरफ्तारी राजनाथ ने बताया कि आखिरी बार 15 सितंबर 2014 को जम्मू के जिलाधीश की ओर से मसरत को हिरासत में लेने के लिए आदेश जारी किए गए थे लेकिन यह आदेश 12 दिन की समय सीमा के भीतर जम्मू कश्मीर के गृह विभाग को नहीं मिला और वह रद्द हो गया। इसकी वजह से इस आदेश को संस्तुत नहीं किया जा सका। बाद में 4 फरवरी 2015 को फिर से कवायद शुरु हुई लेकिन कोई नए आरोप नहीं होने की वजह से उसे सात मार्च को रिहा कर दिया गया। सिंधिया ने फिर मांगी सफाई कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में गृहमंत्री के बयान के बाद कहा कि केंद्र सरकार बताए कि उसने राष्ट्रपति शासन के दौरान मसरत को गिरफ्तार करने का निर्देश क्यों नहीं दिया। जबकि ऐसा किया जा सकता था।
तालमेल बिठाने के लिए मुफ्ती से मिले राम माधव अलगाववादी नेता मसरत की रिहाई को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार के सहयोगी भाजपा और पीडीपी में आई खटास दूर करने के लिए भाजपा के महासचिव राम माधव ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने गठबंधन सहयोगियों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत पर जोर दिया। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि पीडीपी के साथ गठबंधन के लिए पार्टी के अहम वार्ताकार रहे माधव ने बुधवार रात को मुफ्ती के आवास पर उनसे मुलाकात की। सेठी के मुताबिक, मसरत की रिहाई पर माधव ने मुख्यमंत्री मुफ्ती से नाखुशी भी जाहिर की। सूत्रों के मुताबिक, मुफ्ती के पास माधव को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से दूत के तौर पर भेजा गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकार इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर कोई भी फैसला लेने से पहले भाजपा को मशविरा किया जाए। साथ ही यह जताया जाए कि सरकार को न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुरूप काम करना चाहिए।
मसरत मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को यह घोषणा की थी कि आतंकवादियों या राजनीतिक बंदियों की आगे कोई रिहाई नहीं होगी।