नरेंद्र मोदी से पाकिस्‍तानियों को हैं ज्‍यादा उम्‍मीदें, संबंधों में ‘मिठास’ की आस

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भारत में हो रहे चुनाव पर पाकिस्‍तान के लोगों की निगाहें गड़ी हुई हैं. हैरानी की बात यह है कि नरेन्द्र मोदी से वहां के लोगों को ज्यादा उम्मीदें हैं, खासकर वे जो दोनों मुल्कों के बीच व्यापार, दोस्ती और शांति चाहते हैं.

आर्थिक समाचार पत्र ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ ने लिखा है कि पाकिस्तान के लोग अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा को याद करते हैं और मानते हैं कि मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार भारत-पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाएगी. पाकिस्तान के लोगों को लगता है कि मोदी ने गुजरात में जिस तरह से व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया है, उसी तरह वे भारत-पाक व्यापार को भी जबर्दस्त बढ़ावा देंगे.

पाकिस्तानी अखबारों में मोदी पर चर्चा हो रही है. पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द न्यूज के एडिटर आमिर ज़िया ने लिखा है कि लोगों में यह आम धारणा है कि दक्षिणपंथी पार्टी मसलन बीजेपी पाकिस्तान से बेहतर ढंग से बातचीत कर पाएगी और ठोस कदम उठाएगी. मोदी मजबूत नेता हैं और वे स्टैंड वे सकते हैं. लेकिन एक अन्य संपादक मुहम्मद बदर आलम जो डॉन अखबार के समूह हेरल्ड के एडिटर हैं, इससे अलग विचार रखते हैं. उन्होंने आगाह किया है कि एक चरमपंथी पार्टी के सत्ता में आने से धर्मनिरपेक्षता को धक्का लगेगा. हमें उग्रवादियों से चोट पहुंची है. हमें उम्मीद है कि भारत भी हमारे अनुभव से सबक लेगा और एक धर्मनिरपेक्ष सरकार वहां बनेगी.  

पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के सदस्य किश्वर ज़ेहरा ने कहा कि भले ही यह आम धारणा हो कि बीजेपी उग्रवादी और पाकिस्तान विरोधी पार्टी है. लेकिन जब वे सत्ता में थे, तो उन्होंने भारत-पाकिस्तान रिश्तों को वरीयता दी थी. हमें उम्मीद है कि मोदी वाजपेयी साहब की पहल को आगे ले जाएंगे. पाकिस्तान के राजनीतिज्ञ, बिज़नेसमैन, एक्टिविस्ट, शिक्षाविद वगैरह इस तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं.

पाकिस्तान के कारोबारियों का कहना है कि बीजेपी की सरकार पाकिस्तान विरोधी मानसिकता से बंधी नहीं रहेगी. कांग्रेस ने संबंध बेहतर बनाना चाहा लेकिन वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार ने लाहौर बस यात्रा की पह की थी. एक बड़े कारोबारी अमीन हशवानी ने कहा कि दक्षिणपंछी पार्टी होने के नाते वह शांति समझौता कर सकती है और कोई उसका विरोध भी नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव में पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठाने के बावजूद नई सरकार बनने के बाद बेहतर रिश्तों के लिए ठोस पहल होगी. 
लोगों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान में व्यापार बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. ऑल पाकिस्तान टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन एमवाई सिद्दिक ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में कंजरवेटिव रही और उसके वक्त में चीजें बहुत धीरे बदलीं. अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो वे कुछ ठोस कदम उठाएंगे जिससे व्यापार बढे़गा.