पूर्वोत्तर पर फिर मंडराया ख़तरा लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेना हुई आमने – सामने

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इमालवा – लद्दाख | लद्दाख इलाके में चीनी सेना के 40 सैनिकों की एक टुकड़ी भारतीय सीमा में लगभग 10 किलोमीटर तक घुस आई है. उन्होंने वहां अस्थायी ठिकाना भी बना लिया है. भारतीय सेना ने इस खबर की पुष्टि कर दी है.

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की एक पलटन 15 अप्रैल की रात भारतीय भूक्षेत्र में 10 किलोमीटर अंदर तक डीबीओ सेक्टर के बरथे में घुस गई. यह स्थान करीब 17,000 फुट की ऊंचाई पर है. चीनी सैनिकों ने वहां तंबू तानकर एक चौकी भी बना ली है. उन्होंने बताया कि चीनी सेना की पलटन में आमौतर पर 50 सैन्यकर्मी होते हैं.

सूत्रों के अनुसार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने भी करीब 300 मीटर के फासले पर उस चौकी के सामने अपना शिविर स्थापित कर लिया है. सूत्रों ने कहा कि आईटीबीपी ने चीनी पक्ष से फ्लैग बैठक के लिए कहा है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.

इस बारे में जब उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा की अवधारणा को लेकर मतभेदों के चलते पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में टकराव की स्थिति बन जाती है. इन्हें मौजूदा प्रणाली के जरिये सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जाता है.’ उन्होंने इससे अधिक कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया.

भारतीय सेना की इन्फेंट्री रेजीमेंट और पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध में पारंगत लद्दाख स्काउट्स भी इलाके की ओर बढ़ गये हैं. वहां के हालात को तनावपूर्ण बताया गया है. यह स्थान स्थाई तौर पर किसी असैन्य बसावट के लिए नहीं जाना जाता. सुदूर उत्तर लद्दाख स्थित डीबीओ एक ऐतिहासिक शिविर स्थल है और यह लद्दाख को चीन के शिनझियांग में यारकंद से जोड़ने वाले प्राचीन व्यापारिक मार्ग पर स्थित है.

यह भारत के सुदूर उत्तर में ठंडे रेगिस्तानी इलाके में स्थित काराकोरम श्रेणी के सुदूर पूर्वी बिंदु पर पड़ता है जो चीनी सीमा से दक्षिण में महज 8 किलोमीटर दूर और चीन तथा भारत के बीच अक्साई चिन एलएसी के पश्चिमोत्तर में 9 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां का तापमान सर्दियों में शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तक पहुंच जाता है.

सियाचिन ग्लेशियर सैन्य ठिकाने के अलावा यह सुदूर उत्तर में बना भारत का निर्मित क्षेत्र है. इसके सबसे नजदीक बसावट वाला कस्बा मुरगो है, जो दक्षिण में है. यहां बाल्टि समुदाय के लोग रहते हैं जो मुख्य रूप से खुबानी की खेती पर निर्भर हैं.