चुनावी मौसम में प्याज की महंगाई ने आम आदमी के साथ सरकार को भी परेशानी में डाल दिया है। महंगाई रोकने में नाकाम केंद्र सरकार अब राज्यों पर जिम्मेदारी डालकर जमाखोरों पर कार्रवाई की बात कह रही है।

इस बीच, राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) ने आनन-फानन में विदेश से प्याज मंगाने का टेंडर निकाला है। नेफेड पहले भी दो बार ऐसे टेंडर निकाल चुका है, लेकिन प्याज का आयात नहीं हुआ। अगर नेफेड अगस्त में विदेशी प्याज मंगा लेता तो शायद अब लोगों को 80-90 रुपये किलो का प्याज खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता। �

नेफेड के कार्यकारी निदेशक डीके गुलाटी ने बताया कि चीन, पाकिस्तान, ईरान और मिस्र से प्याज के आयात के लिए बुधवार को टेंडर निकाला गया है। सप्लायरों को अपने प्रस्ताव 29 अक्टूबर तक भेजने हैं।

प्याज की महंगाई और किल्लत को देखते हुए नेफेड ने गत 2 सितंबर और 21 अगस्त को भी इसी तरह का टेंडर निकाला था।

नेफेड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगस्त में 40 रुपये किलो के भाव पर विदेशी प्याज मिल रहा था, लेकिन नेफेड ने खरीद नहीं की। अक्टूबर में नई फसल आने से प्याज के दाम घटने की उम्मीद थी, जो महंगाई घटने के बजाय बढ़ गई।

नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने अगले दो दिनों में प्याज के दाम घटने का दावा किया है। लेकिन विदेशी प्याज मंगाने की योजना इस बार भी हवा-हवाई साबित हो सकती है।

थोक व्यापारियों की मोनोपोली
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव चोपड़ा ने दिल्ली में प्याज के दाम 90 रुपये किलो तक पहुंचने के लिए थोक व्यापारियों की मोनोपोली (एकाधिकार) और मंडी कानून की खामियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि थोक और खुदरा कीमतों के अंतर को संतुलित रखने के लिए एपीएमसी एक्ट में सुधार की जरूरत है।

थोक भाव भी 70 रुपये तक पहुंचा
दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 65-70 रुपये तक पहुंच गया है। हालांकि, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से नई फसल की प्याज आनी शुरू हो गई है लेकिन पिछले साल का स्टॉक न बचने और बारिश के बाद आवक में कमी से प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। महाराष्ट्र की मंडियों में दाम 60 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं।

निर्यात ने बढ़ाई प्याज की किल्लत
सरकार भले ही प्याज की महंगाई का ठीकरा जमाखोरों पर फोड़ रही है लेकिन इसकी किल्लत बढ़ाने में निर्यात का भी बड़ा हाथ है। आजादपुर मंडी प्याज व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र बुद्धिराजा का कहना है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण इस साल जून-जुलाई में प्याज का खूब निर्यात हुआ, जिससे पिछले साल का स्टॉक जल्ट निपट गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गत मई से जुलाई के दौरान करीब 5 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ। बुद्धिराजा के अनुसार, अगले 15-20 दिन में महाराष्ट्र और राजस्थान की फसल आने के बाद ही प्याज की महंगाई से राहत मिलेगी।

By parshv