भाजपा के पितामह लालकृष्ण आडवाणी और पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की अंदरूनी कशमकश फिर सामने आ गई है।

भाजपा से अलग आडवाणी ने विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत का श्रेय वहां के मुख्यमंत्रियों और नेताओं को दिया है।

आडवाणी ने विधानसभा चुनावों में मिली जीत का श्रेय मोदी को देने से बचते हुए कहा कि इसमें सभी का योगदान है। उन्होंने कहा कि जीत में खासतौर पर वहां के मुख्यमंत्रियों या सीएम पद के उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका है।

उन्होंने चुनावों में मिली जीत का श्रेय मोदी को देने के सवाल पर चुप्पी साध ली और कहा कि जीत में सबकी भूमिका होती है। यह टीम वर्क है, इसलिए किसी को एक को श्रेय नहीं दिया जा सकता है।

खास बात यह है कि आडवाणी की यह टिप्पणी ऐसे मौके पर आई है जब भाजपा इस सफलता का सेहरा मोदी को पहना रही है और लगातार यह भी कह रही है कि देशभर में मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

मोदी को श्रेय देने से बच रहे आडवाणी
दूसरी ओर आडवाणी की ओर से मोदी को श्रेय नहीं देने से साफ है कि उन्होंने मान लिया है कि देश में मोदी की लहर नहीं है। दरअसल, मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने का खुले तौर पर विरोध कर चुके आडवाणी अब भी इस फैसले को मन से स्वीकार नहीं कर पाए हैं।

माना जा रहा है कि इसी वजह से वह मोदी को श्रेय देने से बच रहे हैं। पार्टी में मोदी के उद्भव के बाद से आडवाणी लगभग हाशिए पर ही हैं। हालांकि वे पार्टी की बैठकों में नियमित तौर पर हिस्सा लेते हैं लेकिन अब पार्टी के फैसले मोदी व राजनाथ सिंह ही कर रहे हैं।

मोदी की उम्मीदवारी से आडवाणी खेमा था नाखुश
वैसे भी आडवाणी व उनका खेमा नहीं चाहता था कि पांच राज्यों के चुनाव से पहले मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित किया जाए। भाजपा में कहा जा रहा है कि यदि चुनाव नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं आते तो इसका ठीकरा मोदी के सर फोड़ा जाना तय था, लेकिन अब जबकि पार्टी तीन राज्यों में कांग्रेस को हाशिए पर धकेल चुकी है व दिल्ली में भी सत्ता के काफी करीब पहुंच गई, आडवाणी ने मोदी को श्रेय देने की बजाय मुख्यमंत्रियों अथवा सीएम उम्मीदवारों को दे दिया।

By parshv