बिहार में मिड डे मील के कहर से हुई 23 मासूमों की मौत के बाद पूरे बिहार में मातम है। कहीं लोगों में डर है कि ऐसा हादसा कहीं और ना हो जाए तो वहीं कई जगह नाराज लोगों ने जमकर हंगामा किया। इस बीच पूरे मामले पर सियासत भी चमकाई जा रही है लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी खुद सीएम की गैरमौजूदगी औऱ चुप्पी को लेकर जताई जा रही है। जो नीतीश छोटी छोटी बातों पर मीडिया से…
बिहार में मिड डे मील के कहर से हुई 23 मासूमों की मौत के बाद पूरे बिहार में मातम है। कहीं लोगों में डर है कि ऐसा हादसा कहीं और ना हो जाए तो वहीं कई जगह नाराज लोगों ने जमकर हंगामा किया। इस बीच पूरे मामले पर सियासत भी चमकाई जा रही है लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी खुद सीएम की गैरमौजूदगी औऱ चुप्पी को लेकर जताई जा रही है। जो नीतीश छोटी छोटी बातों पर मीडिया से रूबरू होते थे और जानकारियां बांटते थे आखिर इतने बड़े हादसे के बाद कहां हैं।
नीतीश बीमार हैं और हम इस पर कोई सवाल नहीं उठा रहे। हम उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना भी करते हैं। हम बिहार के सीएम को सिर्फ ये आगाह करना चाहते हैं कि छपरा की घटना शायद उनके कार्यकाल की सबसे दर्दनाक घटना है और हमें लगता है कि मुख्यमंत्री को एक बार प्रदेश के लोगों के सामने आकर स्थिति जरूर साफ करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री के नजदीकी लोग उनके स्वास्थ्य के बारे में जो कुछ बता रहे हैं उसके मुताबिक नीतीश कुमार को पैर में चोट है और वह स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।
नीतीश को इसका हक है लेकिन इसके साथ वे एक सूबे के मुखिया भी हैं। उनकी जिम्मेदारियां काफी बड़ी हैं। इतनी बड़ी घटना का दोष उनके सिपहसलार भले ही विपक्षियों के सिर मढ़ने की कोशिश कर रहे हों नीतीश की सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बरी नहीं हो सकती जाहिर है ऐसे में सबसे पहले जवाब की दरकार खुद सीएम से है।
तथ्य यह है कि नीतीश अस्वस्थ हैं और तथ्य यह भी है कि इस चोट के बाद भी उन्होंने जनता दरबार में हिस्सा लिया था लेकिन छपरा में मौत के तांडव के बाद उन्हें देश ने नहीं देखा। क्या नीतीश को सामने आकर प्रदेश की जनता से दो शब्द नहीं कहने चाहिए?
आखिर उनकी तकलीफ उन परिवारों से बड़ी कैसे हो सकती है, जिन्होंने अपने नौनिहालों को खोया है? जिनका सबकुछ खत्म हो गया है।
नीतीश के लिए ऐसा करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि संकट दोहरा है। एक तरफ इतने मासूमों की जान गई है दूसरी तरफ हर रोज घटना को लेकर अजीब थ्योरी सामने आ रही है।
ऐसे में यह बात शायद नीतीश ही बता सकते हैं कि छपरा में जो कुछ हुआ वह एक हादसा था, किसी की लापरवाही या कोई बड़ी राजनीतिक साजिश? लेकिन नीतीश सामने नहीं आ रहे।
लालू प्रसाद कहते हैं कि नीतीश अहंकारी हो गए हैं। बीजेपी कहती है कि उसके हटते ही बिहार में सिस्टम बिखर गया है। यह नीतीश के विरोधी हैं। ऐसी बातें करना इनकी सियासी मजबूरी भी हो सकती है।
लेकिन क्या नीतीश इन्हें मौका नहीं दे रहे? उन्हें एक बार अपनी जनता के सामने आकर सारी बातें साफ नहीं करनी चाहिए?