केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी दल शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी ने देशभक्ति का मुखौटा पहना रखा है, जो कि घातक है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह बात कही गई है. सामना में कहा गया है कि राजनीति में अपनी सुविधा के लिए बीजेपी ने देशभक्ति की जो गड़बड़ी कर रखी है, वह चिंताजनक है.
कांग्रेस के साथ गठबंधन अनुचित कैसे
शिवसेना ने कहा कि उसका कांग्रेस के साथ आना अगर अभद्र गठबंधन कहा जाएगा तो जम्मू-कश्मीर मे पाक प्रेमी महबूबा मुफ्ती के साथ सत्ता सुख लेना कम दरिद्र गठबंधन तो माना जाए.
शिवसेना ने कहा कि बीजेपी देशभक्ति की व्याख्या अपनी जरूरत के अनुसार कर रही है. सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ‘नोटबंदी का विरोध करनेवाले भ्रष्ट या देशविरोधी हैं, यह सरकारी कथन है, पर नोटबंदी के बाद भी सीमा पर जवानों का बलिदान रुका नहीं है और सरकार असफल साबित हुई, यह कौन-सी देशभक्ति का लक्षण है?
वोटों से तय नहीं होती देशभक्ति
सामना में कहा गया है, ‘वोटों के आंकड़ों पर ही अगर देशभक्ति की व्याख्या तय होने लगी तो देश मे विकट काल आने की शुरुआत हो गई, यह मानने मे हर्ज नही. अफजल गुरु के समर्थन मे नारे देना अगर देशद्रोह माना जाता हो तो सैनिकों की पत्नियों का बेहद निचले स्तर पर जाकर अपमान करने वाले भाजपा के विधायक का अपराध कम से कम संगीन अपराध तो माना जाए.’
शिवसेना ने बीजेपी की तीखी आलोचना जारी रखते हुए कहा है, ‘बीजेपी की नजर मे जेएनयू का नेता कन्हैया यह पक्का देशद्रोही है, पर महाराष्ट्र के भाजपा के विधायक प्रशांत परीचारक बिलकुल देशद्रोही नहीं हैं. देशभक्ति का एकाधिकार किसी एक ही व्यक्ति या के पास नहीं हो सकता.’