परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता से जुड़े चीन के विवादित बयान पर भारत ने आज पलटवार करते हुए कहा कि वह 48 देशों वाले एनएसजी की सदस्यता तोहफे में नहीं बल्कि परमाणु अप्रसार के अपने रिकॉर्ड की वजह से मांग रहा है। चीन ने कहा था कि एनएसजी की सदस्यता विदाई तोहफा नहीं हो सकता।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, भारत एनएसजी की सदस्यता तोहफे के तौर पर नहीं मांग रहा। भारत अप्रसार के अपने रिकॉर्ड के आधार पर यह मांग रहा है। साफ तौर पर पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए स्वरूप ने कहा, बेशक, मैं अन्य आवेदकों की तरफ से नहीं बोल सकता।
परमाणु अप्रसार को लेकर पाकिस्तान का रिकॉर्ड सवालों के घेरे में रहा है, लेकिन वह भी एनएसजी की सदस्यता की दावेदारी कर रहा है।
इस हफ्ते की शुरूआत में चीन ने निवर्तमान ओबामा प्रशासन की इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी कि भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने के प्रयासों में बीजिंग एक पराये की तरह पेश आया।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था, एनएसजी में भारत के आवेदन के बाबत, एनएसजी में गैर-एनपीटी देशों को प्रवेश मिलने के बाबत, हमने पहले ही अपना रूख साफ कर दिया है, लिहाजा मैं इसे नहीं दोहराउंगी।
हुआ ने कहा था, मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि एनएसजी की सदस्यता देशों के लिए कोई विदाई तोहफा नहीं बनेगी कि वे एक-दूसरे को देते रहें।
दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चीनी राजनयिक ने यह टिप्पणी की थी। बिस्वाल ने कहा था कि साफ तौर पर एक पराया है जिसे राजी कराने की जरूरत है और वह चीन है।
चीन भारत की एनएसजी सदस्यता की राह में रोड़े अटका रहा है, क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किया है।