देश में पशु बाजार में कत्लखानों के लिए मवेशियों की खरीद या बिक्री पर रोक लगाने के मोदी सरकार के नए कानून के खिलाफ एक NGO की ओर से दाखिल PIL पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार की ओर से 23 मई को पशु क्रूरता रोकथाम नियम के तहत जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह नोटिफिकेशन जारी किया है, जो असंवैधानिक है.

याचिका के मुताबिक बूचड़खानों के लिए मवेशियों की खरीद-बिक्री पर रोक का नोटिफिकेशन मनमाना और गैर कानूनी है. यह पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम-1960 का उल्लंघन करता है. नया कानून मवेशियों की खरीद और बिक्री पर अप्रत्यक्ष रूप से पूरी तरह प्रतिबंध लगाता है. इससे किसानों और पशु व्यापारियों पर काफी आर्थिक दबाव बढ़ेगा. इससे गोरक्षा के नाम पर किसानों और पशु व्यापारियों का उत्पीड़न होगा. इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने इस पर दखल देने से इनकार कर दिया था. हालांकि बाद मेंमद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र के इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दिया था. इसके बाद अब मामले को सुप्रीम कोर्ट में दाखिला किया गया है.

वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हो रहा है. केरल समेत कई राज्यों में इसके विरोध में खुलेआम गोकशी और बीफ फेस्ट करने के मामले भी सामने आ चुके हैं. स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, CPM यूथ विंग समेत अन्य संगठन इसके खिलाफ हैं. सरकार के इस फैसले का तमिलनाडु में भी विरोध हो रहा है. वीसीके पार्टी नेता ने सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताते हुए इस फैसले को आरएसएस का एजेंडा करार दिया.