नई दिल्ली। घोटालों से घिरी यूपीए सरकार एक बार फिर शर्मसार हो सकती है। इस बार कोयला घोटाले के कागजात को लेकर। अब यह जानकारी सामने आई है कि न केवल 1993 से 2005 तक 45 कोयला खदानों के लिए दी गई अर्जियों की फाइल गायब है बल्कि कांग्रेस सांसद विजय दर्डा द्वारा की गई सिफारिश के कागजात भी गायब हैं। पीएमओ ने बांदर ब्लॉक के लिए यह सिफारिश कोयला मंत्रालय को भेजी थी।
157 निजी कंपनियों के रिकॉर्ड भी गायब –
इसके साथ ही 157 निजी कंपनियों के रिकॉर्ड भी गायब हैं। इन कंपनियों ने कोयला खदानों के लिए आवेदन किया था लेकिन इन्हें खदानें आवंटित नहीं हुई थीं। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों के कागदात भी नदारद हैं। इसका पता सर्च कमेटी की बैठक में चला। इस कमेटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने किया था। शीर्ष कोर्ट ने सरकार को सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था।
नहीं मिले पीएमओ की सिफारिश के कागज –
एक अखबार के अनुसार 16 जुलाई को हुई सर्च कमेटी की मीटिंग के मिनट्स के अनुसार अधिकारियों को विजय दर्डा की सिफारिश के कागज नहीं मिले। कोयला घोटाले के संबंध में सीबीआई ने दर्डा के यहां छापा मारा था तथा पिछले साल उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस बैठक की अध्यक्षता संयुक्त सविच (कोयला) ने की थी। बैठक में तय किया गया कि सीबीआई को कागजात गायब होने के बारे में बताया जाए तथा पीएमओ से कोयला मंत्रालय को की गई सिफारिश की कॉपी भी मांगी जाए। इसी बैठक में पता चला कि 1993 से 2005 के बीच आवंटित 45 खदानों के लिए दी गई अर्जियों की प्रतियां व संबंधित कागजात गायब हैं।
यह तय हुआ –
निदेशक (प्रशासन) कोयला मंत्रालय को इन कागजात का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि वे ये कागजात तलाश नहीं पाए। निजी कंपनियों की गुम अर्जियों के मामले में यह तय किया गया कि सभी मंत्रालयों,विभागों, कोल इंडिया लिमेटेड व सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजायन इंस्टीटयूट लिमेटेड को इन कागजात का पता लगाने को कहा जाए।