भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल लड़ाकू विमान डील रोक के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार से सौदे को लेकर सवाल किया। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि सरकार ने कैसे राफेल डील की, इसके बारे में पूरी जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी जाए।

हालांकि कोर्ट ने सिर्फ सरकार से राफेल डील फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा। कोर्ट ने साथ में यह स्पष्ट कर दिया कि उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की।

क्या हैं कांग्रेस के आरोप?
राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉ से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.