हरियाणा की सत्ता बचाने को जोर लगा रही सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी ने इस बार फैसला किया है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव में सांसद-विधायकों के किसी भी परिजन को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया जाएगा. इसमें केवल एक ही अपवाद हो सकता है, वह हैं उचाना से मौजूदा विधायक प्रेमलता. प्रेमलता राज्यसभा के सांसद चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी और हिसार से लोकसभा सांसद विजेंद्र सिंह की मां हैं.
हरियाणा के 10 में से सात सांसद अपने परिवार के लोगों के लिए विधानसभा के लिए टिकट मांग रहे हैं, जिनमें सबसे आगे केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर हैं. कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए टिकट मांग रहे हैं जो कि डिप्टी मेयर भी हैं. कृष्णपाल अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. इसके अलावा सोनीपत के सांसद नरेश कौशिक भी अपने भाई देवेंद्र कौशिक के लिए गन्नौर से टिकट मांग रहे हैं.
कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी भी अपनी पत्नी सुमन सैनी के लिए नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे हैं. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी अपनी बेटी आरती राव को चुनाव में उतारना चाहते हैं. केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया अपनी पत्नी के लिए मौलाना से टिकट चाहते हैं. इनके अलावा भिवानी से सांसद धर्मवीर सिंह भी अपने परिवार में किसी एक को तोशाम से चुनाव लड़ाने की पैरवी कर रहे हैं.
उम्मीदवार चयन को दो बार हुई बैठक
दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में बुधवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर दो बार बैठक हुई, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ ही जेपी नड्डा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रभारी अनिल जैन, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, संगठन महासचिव बीएल संतोष मौजूद थे. बैठक में अमित शाह ने साफ किया कि किसी भी मौजूदा सांसद या विधायक के परिजन को टिकट नहीं दिया जाएगा.
पीएम की स्वदेश वापसी के बाद होगी घोषणा
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेश वापसी के बाद की जाएगी. जानकारी के अनुसार 29 सितंबर को बीजेपी सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक है, जिसमें इस पर चर्चा होगी और उसके बाद पहली सूची जारी हो सकती है.