6 साल पुरानी अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील पर राज्यसभा में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। सुब्रमण्यम स्वामी ने जैसे ही सोनिया गांधी पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया, कांग्रेस मेंबर्स वेल में आकर विरोध करने लगे। इसके बाद कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
बीजेपी के आरोपों पर सोनिया गांधी ने कहा, मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरा नाम लेने दें। मैं डरती नहीं हूं। यह सरकार दो साल से सत्ता में है। अभी तक जांच क्यों नहीं कराई? दरअसल, इटली के मिलान कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 3600 करोड़ रुपए की इस हेलिकॉप्टर डील में करप्शन हुआ था। कोर्ट ने जजमेंट में चार बार सिग्नोरा (सोनिया) गांधी और दो बार मनमोहन सिंह का जिक्र किया है।
वहीं, राज्यसभा में अपोजिशन लीडर गुलाम नबी आजाद ने इस मामले में उल्टा बीजेपी पर आरोप लगाते हुए सवाल किया, क्या दोनों देशों के पीएम के बीच मुलाकात हुई? क्या उनके कारण डील अटकी? उस वक्त सरकार कोर्ट में गई और गारंटी मनी वापस लाई। टोटल एडवांस मनी वापस ली। तीन हेलिकॉप्टर जो आ गए थे उन्हें वापस नहीं दिए और अगस्ता वेस्टलैंड को ब्लैकलिस्ट किया। पर मोदी सरकार ने इस ब्लैक लिस्टेड कंपनी को मेक इन इंडिया का हिस्सा क्यों बनाया?
जबकि अरुण जेटली ने कहा, कांग्रेस जिस मीटिंग की बात कर रही है, वैसी कोई मीटिंग ही नहीं हुई। यह गलत है। इसलिए जो रिपोर्ट दी गई है, उससे कुछ साबित नहीं होता। असल मुद्दा डिफेंस लेनदेन का है। वहां रिश्वत का आरोप है। रिश्वत देने वाला दोषी करार दिया गया है। रिश्वत लेने वालों की पहचान स्टैबलिश करनी है।
क्या है मामला?
यूपीए-1 सरकार के वक्त 2010 में अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए करीब 3,600 करोड़ रुपए की डील हुई थी। डील के तहत मिले 3 हेलिकॉप्टर आज भी दिल्ली के पालम एयरबेस पर खड़े हैं, जिन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया। इस डील का 10 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत में देने की बात सामने आई थी, जिसके बाद यूपीए सरकार ने फरवरी 2010 में डील रद्द कर दी थी। तब एयरफोर्स चीफ रहे एसपी त्यागी समेत 13 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। जिस मीटिंग में हेलिकॉप्टर की कीमत तय की गई थी, उसमें यूपीए सरकार के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इस वजह से कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे।