नई दिल्ली। 16वीं लोकसभा की तस्वीर अब लगभग साफ होती दिख रही है। 1984 के बाद यह सबसे स्पष्ट जनादेश है, जिसमें सरकार को अपने गठबंधन के सामने झुकने की नौबत नहीं आएगी और देश के प्रधानमंत्री को खुलकर काम करने का मौका मिलेगा और उनपर किसी का दबाव नहीं रहेगा। मोदी अपनी शैली से गुजरात मॉडल की तरह ही देश को आगे बढाएंगे। बाजार ने जो ऐतिहासिक सलामी दी है, वह इस बात का सबूत है।
वहीं, कांग्रेस के लिए आपातकाल से भी बडी हार है। बमुश्किल प्रमुख विपक्षी दल बन पाएगी। मोदी की लहर में सभी पार्टियां धराशाई हो गई हैं। जनता ने तो अपना काम कर दिया, अब मोदी ने जो उम्मीदें जगाई हैं, वैसा भी वो अमल में ला पाएंगे।
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कांग्रेस की इस पराजय के बाद कांग्रेस मुख्यालय में सियापा छा गया और मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करके यह मांग की कि प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ।