CM योगी की बदलने लगी छवि, मुस्लिमों के हित में उठाए ये बड़े कदम

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि हमेशा से कट्टर हिंदुत्ववादी नेता की रही है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद से उनकी यह तस्वीर बदली दिख रही है. उनके जनता दरबार में सबसे ज्यादा तादाद मुस्लिम फरियादियों की होती है. मुस्लिमों के लिए योगी ने कई योजनाओं का भी ऐलान किया है.

‘सबका साथ…सबका विकास’ की राह पर योगी
साल 2014 में सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने नारा दिया था ‘सबका साथ, सबका विकास’. अब उत्तर प्रदेश में सबको साथ लेकर चलने की इसी फेहरिस्त में योगी आदित्यनाथ का नाम जुड़ गया है. वह कभी जनता दरबार में मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं का समाधान करते हैं, तो कभी गुरुद्वारे में सिखों से मुलाकात.

आपको बता दें कि मुख्यममंत्री आवास पर जनता दरबार में योगी से मिलने आने वाले फरियादियों में बड़ी तादाद मुस्लिम महिलाओं की ही होती है. योगी सरकार ने भी अल्पसंख्यकों की शादी और शिक्षा के लिए योजनाओं का पिटारा खोला है.

हर साल 100 मुस्लिम लड़कियों की शादी कराने का लक्ष्य
सरकार गरीब मुस्लिम लड़के-लड़कियों की सामूहिक शादी कराएगी. राज्य सरकार ने हर साल ऐसी 100 शादियों का लक्ष्य तय किया है. शादी में लड़के की तरफ से सरकार लड़की के परिवार को मेहर की रकम चुकाएगी. मेहर की रकम के अलावा दुल्हा-दुल्हन के लिए दूसरे जरूरी सामान भी सरकार देगी. इन सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए सद्भावना मंडप तैयार होगा.

मदरसों का आधुनिकीकरण
योगी ने अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा को भी खासी तवज्जों दी है. सबसे पहला ध्यान मदरसों के आधुनिकीकरण पर है. 19 हजार 213 मदरसों के पाठ्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी और विज्ञान के विषय शामिल होंगे. अब सीधे आधार से जोड़कर छात्रों के बैंक खातों में छात्रवृति मिलेगी.

नेगेटिव छवि से हटी धूल
विरोधी शुरू से बीजेपी और खासकर योगी आदित्यनाथ को अल्पसंख्यक विरोधी किरदार के तौर पर पेश करते आए हैं, लेकिन यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजों ने काफी हद तक इस तथाकथित नेगेटिव छवि से धूल हटा दी. असम की कामयाबी के बाद बीजेपी के हौसले सातवें आसमान पर हैं. पश्चिम बंगाल और ओडिशा बीजेपी के रास्ते वो मोर्चे हैं, जो फतह हो गए तो ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे कद्दावर नेताओं की जड़ें हिला सकते हैं.