LJP से गठबंधन बागी हुए BJP के अश्विनी चौबे, बोले-मौकापरस्‍त हैं रामविलास पासवान

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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में बीजेपी के साथ रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का गठबंधन तय लग रहा है. हालांकि बीजेपी ने अब तक पासवान की पार्टी के साथ गठबंधन पर साफ-साफ कुछ नहीं कहा है और ना ही पासवान ने कुछ कहा है. लेकिन, लोजपा नेता सूरजभान सिंह ने दावा किया कि बीजेपी के मिशन मोदी में हमसफर बनने को राजी हैं. सूरजभान ने यहां तक कह दिया कि बीजेपी और लोजपा में गठबंधन हो चुका है, केवल औपचारिक ऐलान बाकी है.

लोजपा सूत्रों के मुताबिक रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह से मिले हैं. यह मुलाकात चार घंटे तक चली है. इसके बाद राजनाथ ने गठबंधन के मसले पर नरेंद्र मोदी से बात की. बताया जा रहा है कि गठबंधन के तहत लोजपा बिहार में सात सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है. चिराग पासवान के जमुई, रामविलास पासवान के हाजीपुर और रामचंद्र पासवान के समस्‍तीपुर से चुनाव लड़ने की उम्‍मीद है. इस बारे में आखिरी फैसला लेने के लिए जल्‍द ही लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है.

लेकिन, इस गठबंधन को लेकर बीजेपी के भीतर बगावती स्‍वर उभरने लगे हैं. बिहार बीजेपी के सीनियर नेता अश्वनी चौबे ने कहा है कि पासवान न सिर्फ अवसरवादी है, बल्कि इन्होंने पिछले 10 सालों में जमकर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को गालियां दी हैं. ऐसे में ऐसे लोगों के साथ गठबंधन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

चौबे के मुताबिक पार्टी का बड़ा धड़ा इस गठबंधन से नाराज है और वो इसके खिलाफ आलाकमान से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी को किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है और अगर गठबंधन हुआ तो यह बीजेपी के लिए आत्मघाती कदम होगा. पासवान पर निशाना साधते हुए चौबे कहते हैं कि ये लोग चुनाव के बाद एकबार फिर विश्वासघात करेंगे और राहुल गांधी का हाथ थाम लेंगे. चौबे ने यहां तक कह दिया कि शाहनवाज हुसैन को भागलपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. उन्हें अपने लिए दूसरा मुस्लिम बहुल सीट तलाशना चाहिए.

यहां गौर करने वाली बात यह है कि रामविलास पासवान ने ही गुजरात दंगों के बाद सेक्युलरिज्‍म का हवाला देकर बीजेपी से रिश्‍ता तोड़ लिया था. अब उनके नेता सूरजभान कह रहे हैं कि दंगों के मामले में मोदी को क्‍लीन चिट मिल गई है और यह मसला बहुत पुराना हो गया है.

बीजेपी का दलित कार्ड

आम चुनाव से पहले बीजेपी दलित और ओबीसी वोटरों को जोड़ने पर खास ध्‍यान दे रही है. बीजेपी ने बिहार में कद्दावर ओबीसी नेता उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी से गठबंधन कर लिया है. उत्‍तर प्रदेश में कद्दावर दलित नेता उदित राज ने बीजेपी ज्‍वाइन कर लिया है. उनकी इंडियन जस्टिस पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया है. बीजेपी ने महाराष्‍ट्र के कद्दावर दलित नेता रामदास अठावले को राज्‍यसभा का टिकट दिया है. आरपीआई के अठावले को बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर की जगह संसद के उच्‍च सदन में भेजा जा रहा है.

बीजेपी सूत्रों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटें हासिल करनी हैं तो इसमें बिहार, यूपी और महाराष्ट्र के दलित वोटर बेहद अहम भूमिका निभा सकते हैं. बीजेपी को यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से ज्यादा बीएसपी से चुनौती मिल सकती है. ऐसे में पार्टी चाहती है कि चुनाव से पहले ऐसा माहौल बने कि बीजेपी अब दलितों के लिए भी अछूत नहीं रही है. पार्टी ने इसलिए दलित नेताओं को बीजेपी से जोड़ने की कवायद तेज कर दी है.

लेकिन यह मुश्किल भी

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी तमाम सियासी समी‍करणों को मजबूत करने में जुटी है. लेकिन इसकी मुश्किलें भी हैं. लोजपा से गठबंधन पर अश्विनी चौबे की ‘बगावत’ तो सामने है ही, पार्टी की सीटों का समीकरण भी गड़बड़ा सकता है. कुशवाहा की पार्टी को तीन से चार सीटें दिए जाने जबकि लोजपा को सात सीटें दिए जाने की बात चल रही है.

हाल में आए तमाम सर्वे संकेत दे रहे हैं कि नीतीश से नाता टूटने के बाद बिहार में बीजेपी को फायदा होगा और राज्‍य में लोकसभा की 40 में से 20 सीटें पार्टी के खाते में जा सकती हैं. सर्वे के संकेतों से उत्‍साहित बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सभी 40 सीटों पर तैयारी तेज कर दी है. ऐसे में लोजपा और राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठबंधन से उन सीटों के कार्यकर्ता नाराज हो सकते हैं जहां गठबंधन के सहयोगियों को सीटें दी जाएंगी.

जहां तक रामविलास पासवान की कामयाबी का सवाल है तो 2009 के लोकसभा चुनाव में वो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे, लेकिन 2009 पीछे छूट चुका है. रामविलास पासवान बिहार में सबसे बड़े दलित नेता हैं. राज्‍य में दलित वोटरों की तादाद करीब 16 फीसदी है. इसमें सबसे ज्यादा पासवान जाति से ताल्‍लुक रखते हैं. ऐसे में रामविलास पासवान का बीजेपी से साथ आना मिशन मोदी के लिए बिहार में मजबूत माहौल पैदा कर सकता है. इसके अलावा अपने बेटे चिराग को राजनीति में धमाकेदार एंट्री दिलाने की कोशिश में जुटे रामविलास को भी लगता है कि कांग्रेस और लालू से गठजोड़ करने से ज्‍यादा फायदा बीजेपी से नाता जोड़ने में है.