कोरियाई प्रायद्वीप के विवाद में रूस उत्तर कोरिया के पक्ष में खड़ा हुआ है। रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन ने उत्तर कोरिया पर लगे नए प्रतिबंधों को खेदजनक बताया है। इन प्रतिबंधों की जद में कुछ रूसी कंपनियां और उनके डायरेक्टर भी आए हैं। परमाणु हथियारों और मिसाइलों के विकास के चलते उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद व अमेरिका प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
गुरुवार को अमेरिका द्वारा लगाए गए नए आर्थिक प्रतिबंधों से दो रूसी कंपनियों के कामकाज पर असर पड़ेगा। ये दोनों कंपनियां उत्तर कोरिया के साथ कारोबार कर रही थीं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि इन प्रतिबंधों से उनके देश के द्विपक्षीय रिश्तों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों का असर कुछ नहीं होना है लेकिन ये खेदजनक हैं। आवश्यक वस्तुओं का कारोबार पूर्व की भांति जारी रहेगा।
अमेरिका की अगुआई में लिये गए प्रतिबंधों के निर्णय पर उप विदेश मंत्री सर्गेई राबकोव ने कहा, इस बाबत फैसला अविश्वसनीय तरीके से लिया गया है। गुरुवार को जिन रूसी कंपनियों के उत्तर कोरियाई कंपनी से कारोबार पर रोक लगाई गई है उनमें एक आर्डिस बियरिंग एलएलसी है। यह उत्तर कोरिया के तानगुन ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन से कारोबार करती है। लेकिन तानगुन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2009 में ही प्रतिबंध लगा दिया था। दूसरी रूसी कंपनी इंडिपेंडेंट पेट्रोलियम है, जो उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करती है। यह वहां की मानवीय जरूरतों को पूरा करती है।