भारत में सरबजीत की मौत पर हर ओर शोक की लहर है लेकिन पाकिस्तान में जहां की जेल में वो 23 साल तक कैद रहे वहां की मीडिया का क्या कहना है इस मौत पर आइए आपको बताते हैं।पाकिस्तान की मीडिया ने सरबजीत की मौत को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। अगर अखबारों की बात करें तो कई अहम अखबारों ने तो इस मौत को खबर बनाया ही नहीं और अगर किसी ने इस खबर को छापा भी है तो इस बस… पाक मीडिया ने नहीं दी सरबजीत की खबर को तव्‍वजो

भारत में सरबजीत की मौत पर हर ओर शोक की लहर है लेकिन पाकिस्तान में जहां की जेल में वो 23 साल तक कैद रहे वहां की मीडिया का क्या कहना है इस मौत पर आइए आपको बताते हैं।पाकिस्तान की मीडिया ने सरबजीत की मौत को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। अगर अखबारों की बात करें तो कई अहम अखबारों ने तो इस मौत को खबर बनाया ही नहीं और अगर किसी ने इस खबर को छापा भी है तो इस बस हाशिए पर जगह दी है। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन ने शव के पोस्टमार्टम नहीं होने पर सवाल उठाए हैं।पाकिस्‍तान के अखबरा डॉन ने लिखा, ‘बुधवार देर रात भारतीय जासूस सरबजीत सिंह की जिन्ना अस्पताल में मौत हो गई। हॉस्पीटल के सूत्रों के मुताबिक सरबजीत का शव मुर्दाघर में रखा है और अब तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ है।’द नेशन ने सरबजीत के मौत की खबर छापी ही नहीं है। अखबार की वेबसाइट पर सरबजीत के परिवार की वाघा बोर्डर से वापसी की खबर है। द नेशन के बैनर पर भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का परिवार वाघा बोर्डर के रास्ते भारत लौट आया है। इस बीच खबर यह है कि अस्पताल में भारतीय कैदी की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।द न्‍यूज ने सरबजीत की मौत को मुजरिम भारतीय जासूस की मौत करार देते हुए लिखा है। द न्‍यूज के बैनर पर लाहौर की कोटलखपत जेल में सरबजीत पर रिजवान और आमीर नाम के दो मुजरिमों ने हमला किया था। अदालत ने इन दोनों को मौत की सजा सुनाई है। अब इन दोनों पर पुलिस ने हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया है।डेली टाइम्स ने सरबजीत की मौत की खबर को महाराष्ट्र में बंद पाकिस्तानी कैदियों की हिफाजत से जोड़ते हुए लिखा है। उसने लिखा है कि महाराष्ट्र की जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा मजबूत कर दी गई है। एडीजी मीरा बोरवांकर के मुताबिक सिंह पर हमला होने के बाद सरकार ने इन कैदियों की हिफाजत की व्यवस्था और पुख्ता कर दी है।

By parshv