भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर चीन ने विरोध जताया है. चीन अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है और उसने इस मुद्दे पर भारत के समक्ष कूटनीतिक तौर रूप से विरोध जताने की बात कही है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के दौरे की रिपोर्ट पर कहा, ‘भारत-चीन के बीच सीमा के सवाल को लेकर चीन का रुख स्पष्ट है.’ उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी. चीन इस विवादित क्षेत्र में भारतीय नेता के दौरे का विरोध करता है.
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के हवाले से गेंग ने कहा, ‘हम इस मुद्दे को लेकर भारत के समक्ष विरोध प्रकट करेंगे.’ उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन एक स्तर पर सहमति बना चुके हैं ताकि विवाद को सही तरीके से सुलझाया जा सके. दोनों पक्ष समझौतों और आपसी सुलह के जरिये सीमा विवाद को निपटाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
गेंग ने कहा, ‘चीन भारत से अनुरोध करता है कि उसे अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहिए और सीमा विवाद को लेकर जो सहमति बनी है, उस पर खड़े रहना चाहिए. साथ ही किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचना चाहिए जिससे सीमा का विवाद और न उलझे.’
गेंग ने कहा कि यह विवादित क्षेत्र अवैध मैक मोहन रेखा और भारत-चीन के पारंपरिक सीमा रेखा के बीच स्थित है. कुछ हिस्सों को भारत में शामिल करने के लिए ब्रिटेन ने 1914 में मैक मोहन रेखा खींची थी. उन्होंने भारत से द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने की अपील की और कहा कि ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिससे सीमा मुद्दे पर बातचीत की जा सके और द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर दोनों देश आगे बढ़े सकें.
गौरतलब है कि चीन भारतीय नेताओं के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का लगातार विरोध करता रहा है। वह इस राज्य को लेकर अपने दावे को दोहराता रहता है. 3,488 किमी के दायरे वाले भारत-चीन सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच अब तक 20 दौर की बातचीत हो चुकी है.