भारत के खिलाफ पाकिस्तान का रणनीतिक हथियार है तालिबान

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अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रह चुके रिचर्ड ओल्सन ने कहा है कि पाकिस्तान अफगान तालिबान को बढ़ावा देना बंद नहीं करेगा।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस आतंकी समूह को भारत के खिलाफ रणनीतिक हथियार के तौर पर देखता है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भारत-पाक के बीच मध्यस्थ नहीं बनने की सलाह भी दी।

वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक स्टिमसन इंस्टीट्यूट में मंगलवार को उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि इस्लामाबाद तालिबान को नहीं छोड़ेगा, क्योंकि वह जानता है कि इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकता है। भारत को पाकिस्तान अपने अस्तित्व के लिए एक खतरे के तौर पर देखता है। अपने पड़ोसी के खिलाफ हर उपाय उसे स्वीकार्य है। हमें यह तय मानना चाहिए कि वह तालिबान का समर्थन जारी रखेगा। उसे रोकने के लिए हमे अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने होंगे।’

ओल्सन ने कहा कि अफगानिस्तान में हिंसा के लिए जिम्मेदार इस आतंकी समूह का मामला सीधे तौर पर भारत से जुड़ा हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान उसे अपने खास मददगार के तौर पर देख रहा है। ओल्सन के अनुसार, अमेरिका के भारी दबाव और काफी समझाने के बावजूद अफगानिस्तान के खिलाफ तालिबान का इस्तेमाल करने की अपनी रणनीति पाक ने नहीं बदली। ऐसे में पाकिस्तान के संदर्भ में किसी भी तरह की अमेरिकी नीति तैयार करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओबामा प्रशासन के दौरान सीधे संवाद में कोई परेशानी नहीं थी। इसका लाभ उठाकर कुछ विशेष कदम उठाए गए थे, लेकिन इनसे नतीजे नहीं मिले।