विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 4.7 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले विश्व बैंक ने वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री मार्टिन रामा ने बैंक की रिपोर्ट इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) में कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2015 में बढ़कर 6.2 फीसदी हो जाएगी.
विश्व बैंक ने अप्रैल में अनुमान व्यक्त किया था कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष में 6.1 प्रतिशत रहेगी और अगले वित्त वर्ष में यह 6.7 प्रतिशत हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी 2013-14 में भारत की औसत वृद्धि दर लगभग 3.75 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2013-14 में 5 प्रतिशत रही, जबकि बीते दशक में यह औसतन 8 प्रतिशत रही थी. विश्व बैंक ने कहा है कि 2013-14 में आर्थिक गतिविधियों की गति पर पहली तिमाही के कमजोर परिणाम का असर होगा.
रामा ने कहा, ‘ हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उत्पादन वृद्धि घटकर 4.4 प्रतिशत रह गई, जबकि 2013-14 की दूसरी तिमाही में वृद्धि दर मजबूत होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी और बंपर फसल उत्पादन जैसे कारक सकारात्मक असर डालेंगे.
उन्होंने कहा कि बुवाई क्षेत्र में पांच फीसदी की वृद्धि से कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो एक साल पहले 1.9 प्रतिशत थी.
घट सकता है विदेशी मुद्रा भंडार
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत को 2013-14 में चालू खाते के घाटे की स्थिति से निपटने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार से धन निकालना पड़ सकता है. आईडीयू के अनुसार वित्त वर्ष 2013-14 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार में कुछ कमी आ सकती है, फिर भी वह लगभग पांच महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त होगा.
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने इसी महीने कहा था कि भारत इस साल चालू खाते घाटे (कैड) की भरपाई अपने मुद्रा भंडार को हाथ लगाए बिना ही कर लेगा.
वहीं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा था कि कैड की भरपाई के लिए भारत को विदेशी मुद्रा भंडार से 9 अरब डालर निकालने पड़ सकते हैं.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कैड 21.8 अरब डालर यानी जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहा था.
सरकार की योजना मौजूदा वित्त वर्ष में कैड को घटाकर 70 अरब डालर यानी जीडीपी का 3.7 प्रतिशत करने की है. यह 2012-13 में 88.2 अरब डालर यानी 4.8 प्रतिशत रहा थी.