सीरिया के मुद्दे पर अमेरिका और रूस आमने-सामने आ गए हैं। पद संभालने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे बड़ा रणनीतिक फैसला लेते हुए शुक्रवार तड़के सीरिया में सरकार के कब्जे वाले सैन्य हवाई अड्डे पर क्रूज मिसाइलों का हमला करवा दिया। हमले में छह सीरियाई सैनिक और नौ नागरिक मारे गए हैं जबकि नौ लड़ाकू विमान नष्ट हो गए हैं, एयरबेस को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
भूमध्य सागर में तैनात दो अमेरिकी युद्धपोतों से कुल 59 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें छोड़ी गईं। हमले को इसी हफ्ते सीरिया में विद्रोहियों पर हुए रासायनिक हमले का जवाब माना जा रहा है जिसमें सौ लोग मारे गए थे। अमेरिकी हमले पर रूस और ईरान ने कड़ा विरोध जताया है। रूस ने इसे सीरिया पर अमेरिका का हमला बताया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई है।
सीरिया में मार्च 2011 से चल रहे गृहयुद्ध में रूस राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ है जबकि विद्रोहियों को अमेरिका का समर्थन मिल रहा है। दोनों ओर से चल रहे युद्ध में दसियों हजार लोग मारे जा चुके हैं जबकि लाखों बेघर हो चुके हैं। मंगलवार को विद्रोहियों के ठिकाने पर अचानक रासायनिक हमला हुआ जिसमें करीब सौ लोग मारे गए और दर्जनों मरणासन्न स्थिति में आ गए। आरोप असद की फौजों पर लगा और दुनिया भर में उसकी निंदा हुई।
असद सरकार ने इस हमले से इन्कार किया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में सीरिया के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया जिसे रूस ने वीटो लगाकर निष्फल कर दिया। इसी के बाद अमेरिका की भविष्य की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। राष्ट्रपति ट्रंप ने कड़ा फैसला लेने में ज्यादा देर नहीं लगाई और शुक्रवार तड़के 3.42 बजे सीरिया के होम्स प्रांत के शायरात एयरबेस पर क्रूज मिसाइलों की बारिश हो गई। यह सीरिया युद्ध में पहला सीधा अमेरिकी हस्तक्षेप है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। कहा है, इससे रूस और अमेरिका के संबंधों को गंभीर आघात लगा है। प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के अनुसार यह एक राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि मिसाइल हमले से पहले उन्होंने उसकी सूचना रूसी अधिकारियों को दे दी थी और हमले में रूसी सैनिकों की हवाई ठिकाने में मौजूदगी का ध्यान रखा गया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि असद को बदलने के प्रयास बेकार साबित हुए। इसी के बाद सीरिया पर हमले का निर्णय लेना पड़ा। ट्रंप ने हमले का आदेश फ्लोरिडा स्थित अपने रिजॉर्ट मार-आ-लागो से दिया, जहां पर वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक कर रहे हैं। आदेश मिलते ही युद्धपोत यूएसएस पोर्टर और यूएसएस रॉस ने मिसाइलें दाग दीं। ट्रंप के इस कदम का ब्रिटेन, इजरायल, तुर्की, जापान, जर्मनी आदि ने समर्थन किया है। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की भारतीय मूल की सांसद तुलसी गबार्ड और टिम केन ने ट्रंप के फैसले का विरोध किया है।