सिंगापुर। चीन पिछले 10 सालों से भारत के सरकारी और निजी उपक्रमों की जासूसी कर रहा है। इंटरनेट सुरक्षा प्रदाता कंपनी फायरआई की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी सरकार द्वारा प्रायोजित हैकर्स का समूह ‘एपीटी30’ भारत के शासकीय कम्प्यूटरों की निगरानी कर रहा है और यह अभी भी सक्रिय है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘एपीटी30’ पिछले एक दशक से दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत के सरकारी व अहम कारोबारी ठिकानों की खुफिया जानकारियां एकत्रित कर रहा है। इसमें भारतीय अंतरिक्ष, रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां और दूरसंचार कंपनियां शामिल हैं। हैकर्स सरकार के अलावा उन निगमों और पत्रकारों की भी जासूसी करते हैं जिनकी रूचि चीन में है। साथ ही विनिर्माण, ऊर्जा, परिवहन, दूरसंचार और विमानन सेवा से जुड़ी दक्षिण एशियाई कंपनियों की भी जासूसी करते हैं।
भारतीय शोधकर्ताओं ने भी भारतीय संस्थानों में एपीटी30 की संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से इस समूह की साइबर जासूसी की गतिविधियां तेजी से चल रही हैं। फायरआई के एशिया प्रशांत प्रमुख और रिपोर्ट के लेखक ब्रायस बोलैंड ने बताया कि इस क्षेत्र में उनके कई ग्राहकों के सर्वर पर पिछले कई सालों से लगातार हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हैकर्स इन गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जिस सर्वर का इस्तेमाल करते रहे हैं वह आज भी सक्रिय है।
चीन खारिज करता रहा है आरोप
इससे पहले भी चीन सरकार पर साइबर हमले कराने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन वह इसे नकारता रहा है। इस रिपोर्ट पर भी अभी तक न तो चीन के विदेश मंत्रालय और न ही चीन के साइबर मामलों के विभाग से मांगी गई लिखित जानकारी का कोई जवाब दिया गया है। इससे पहले साल 2011 में इंटरनेट सुरक्षा कंपनी मैकेफे ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन से “शेडी रैट” नाम से प्रचलित साइबर हमलों को अंजाम दिया जा रहा है। इन हमलों में भी एशियाई देशों की सरकार और अन्य संस्थाएं हैकर्स के निशाने पर थीं।