हिन्दू धर्म में ऐसी कई बातें हैं, जिनका पालन हम लोग ही कर सकते हैं लेकिन दूसरे इसे सुनकर हँसते हैं। उन्हें ऐसा लगता है की क्या बेकार की बातें हैं। लेकिन हमारे पूर्वज इन बातों का अनुभव किए होंगे तभी हम इसका अनुकरण कर रहे हैं। जब भी घर से कोई बाहर जाता है, उसे बुलाते नहीं, उसे टोकते नहीं है।
टोकना क्यों मानते है अशुभ:
- जब हम किसी काम से घर से बाहर जाते हैं तो उस पल हमारा दिमाग पूरी तरह से उस काम को पूरा करने के बारे में सोचता है। हमारा दिमाग उसी दिशा में आगे बढ़ने लगता है।
- अचानक से पीछे मुड़ते ही शरीर की दशा बदल जाती है जो गति हमारा दिमाग उस काम के लिए लगा रहा था अब वो गति शरीर को पीछे मुड़ने और उस सवाल का जवाब देने में लगाना पड़ता है।
- एक बार दिमाग के डिस्टर्ब होने से उस काम की सफलता नहीं मिलती। कई मामले में लोगों का एक्सीडेंट हो जाता है, तो कई मामले में लोग उस काम को उस दिन नहीं कर पाते है।
यही कारण धीरे धीरे एक मान्यता में बदल गई। अनुभव के आधार पर लोगों ने ये महसूस किया कि ऐसा करने पर काम सफल नहीं होता है। कुछ न कुछ रुकावट हो ही जाती है।