हमारे हिन्दू धर्म में धार्मिक और शुभ कार्यों के दौरान माथे पर तिलक लगाया जाता है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। यह मन मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है। तिलक शरीर की पवित्रता का भी द्योतक है। धार्मिक मन बिना नहाए ध्यान के इसे धारण नहीं करता है।
- आमतौर पर तिलक चंदन (लाल अथवा सफेद), कुमकुम, मिट्टी,हल्दी, भस्म,रोली, सिंदूर केसर तथा गोप चंदन आदि का लगाया जाता है। यदि दिखावे से परेशानी है तो जल का भी लगाने का शास्त्रोक्त विधान है।
- हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र बोला जाता है। माथे के मध्य में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता है। यह चक्र बॉडी का सबसे अहम स्थान है।
- शरीर की मुख्य तीन नाड़ियां इड़ा, पिंगला एवं सुषुम्ना आकर मिलती हैं। यहां तिलक लगाने से आज्ञा चक्र की गत्यात्मकता को बल प्राप्त होता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरी बॉडी का संचालन होता है।
- यह हमारी चेतना की प्रमुख जगह है। इसी को मन का घर माना जाता है। इसी वजह से यह जगह शरीर में सबसे अधिक अहम है। योग में ध्यान के वक़्त इसी पर मन एकाग्र किया जाता है।