राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने राजभवन के सांदीपनि सभागृह में आयोजित ‘आध्यात्मिकता द्वारा मानव समाज का विकास” संगोष्ठी में कहा कि समाज में बढ़ते भौतिकवाद पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी जीवों में समान आत्मा की मान्यता पर आधारित है। राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्म से भेद-भाव समाप्त होगा और समाज में मानवीयता का प्रसार होगा। उन्होंने महात्मा गाँधी की आत्म-शक्ति और स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक चिंतन को समृद्ध भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताया।
आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि आधुनिक शिक्षा पद्धति बौद्धिक और शारीरिक विकास पर केन्द्रित होती जा रही है। इसे आध्यात्मिक विकास से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म के प्रकाश में सभी समस्याओं का समाधान संवाद द्वारा संभव हो सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपनी शैली में आध्यात्मिक जीवन को साकार किया है।
केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने संगोष्ठी में कहा कि आध्यात्मिक सोच समाज में सर्वोपरि होना चाहिये और सभी को उसका अनुसरण करना चाहिये। जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि महात्मा गाँधी ने महात्मा बुद्ध से प्रेरणा लेकर देश की आजादी के लिये अहिंसा आंदोलन शुरू किया, जिससे विवश होकर अंग्रेजों ने भारत से पलायन किया। श्री शर्मा ने कहा कि गाँधीजी का जीवन अहिंसा के सामर्थ्य का प्रतीक है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान समय की सभी समस्याओं का समाधान आध्यात्मिक सोच में छिपा है। इसे पहचान कर इसका अनुसरण करने से ही मानव समाज का विकास और कल्याण होगा। वरिष्ठ पत्रकार श्री वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि आध्यात्मिकता, मानव-प्रवृत्ति की सभी ग्रंथियों को खोलकर उसे अंतर्द्वंद्वों से मुक्त करती है। उन्होंने कहा कि जीवन के सभी क्षेत्रों में आध्यात्मिकता को बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिये।