विश्व के ख्यात अंतर्राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र (इकार्डा) द्वारा दलहनी फसलों के शोध और तकनीकी प्रसारण का एशिया का सबसे बड़ा केन्द्र मध्यप्रदेश में स्थापित किया जायेगा। संस्थान ने केन्द्र हेतु चीन के स्थान पर भारत को चयनित किया है। प्रदेश शासन ने इस उपयोगी संस्थान के लिये सीहोर जिले के अमलाहा में 71 हेक्टयर भूमि उपलब्ध करवायी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से इकार्डा लेबनान के महानिदेशक डॉ. मुहम्मद सोहू ने आज यहाँ भेंट कर संस्थान को दिये जा रहे सहयोग के प्रति आभार प्रकट किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश देश में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। देश में अभी भी दलहन उत्पादों का आयात किया जाता है। दलहन उत्पादन में देश को आत्म–निर्भर बनाने के लिये उच्च–स्तरीय अनुसंधान की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र (इकार्डा) का प्रदेश में स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि दलहनी फसलों के सुधार, शुष्क खेती के क्षेत्र में नये शोध और तकनीक प्रसारण में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में तेजी से प्रगति करने वाला राज्य है। इस वर्ष कृषि वृद्धि दर 24.99 प्रतिशत रही है। गेहूँ उत्पादन में भी देश का अग्रणी राज्य है। इस लिहाज से इकार्डा मध्यप्रदेश में दलहनी उत्पादन बढ़ाने में भी अपेक्षित सहयोगी होगा।
इकार्डा महानिदेशक श्री सोहू ने बताया कि यह लेबनान स्थित गैर लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है। मध्यप्रदेश में अनुसंधान प्रक्षेत्र स्थापित करने का निर्णय परियोजना स्थल के निकट प्रगतिशील कृषक समुदाय और कृषि विद्यालय होने के कारण किया गया है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव कृषि श्री एम.एम. उपाध्याय, प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल, उप महानिदेशक इकार्डा डॉ.कोमेल शीडीड, उप कुलपति राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय डॉ. श्री ए.के. सिंह, निदेशक भारत सरकार दलहन विकास निदेशालय डॉ. आर.के. तिवारी, इकार्डा के समन्वयक दक्षिणी–एशिया डॉ. ए. सरकार, सहायक महानिदेशक आर.सी.ए.आर., डॉ.बी.बी. सिंह और डीन श्री वी.एस.गौतम उपस्थित थे।