भोपाल। प्रदेश में ऑनलाइन शॉपिंग पर उपभोक्ताओं को 6 फीसदी ज्यादा कीमत चुकानी होगी। सरकार के स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम में संशोधन विधेयक को विधानसभा ने पारित कर दिया है। इसके लागू होने पर फ्लिपकार्ड, स्नैपडील, अमेजन जैसी कंपनियों से खरीदी पर प्रवेश कर के जरिए सरकार को सालाना 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। सदन में सोमवार को वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर यह विधेयक रखा।
भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग में मल्टी नेशनल कंपनियों के आने से छोटे व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। मप्र में पांच हजार करोड़ रुपए का व्यापार किया जा रहा है। छोटे व्यापारियों से वैट सहित अन्य टैक्स लिए जाते हैं, पर ई-कॉमर्स कंपनियों से टैक्स की व्यवस्था नहीं है। रावत ने सवाल उठाया कि विधेयक में ये कहीं नहीं बताया गया कि टैक्स की वसूली कौन करेगा?
क्या सरकार कोई एजेंसी लगाएगी या बिचौलिए होंगे? सरकार अपनी आय बढ़ाना चाहती है, इसमें बुराई भी नहीं है पर बिचौलियों के हाथ में ये व्यवस्था दे दी तो कोई फायदा नहीं होगा। अनुपूरक बजट में वाणिज्यिक कर विभाग के लिए 4 करोड़ 92 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे वाहन खरीदे जाने हैं। जब कर संग्रहण का काम दूसरों को सौंपना है तो फिर जनता की गाढ़ी कमाई क्यों बर्बाद की जा रही है? बाला बच्चन ने भी कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग पर टैक्स लगाना ठीक वैसा ही है जैसा ई-मेल के जमाने में तार करना।
जीएसटी लागू होने के बाद चेकपोस्ट खत्म हो जाएंगे तो फिर इस टैक्स को वसूलने के लिए कुरियर कंपनियों पर चेक पोस्ट लगेंगी? जिन वस्तुओं पर टैक्स वसूली की तैयारी हो रही है, उसकी सूची तक नहीं बनाई गई है। पोस्ट ऑफिस के माध्यम से गंगाजल मुहैया कराया जाता था। अब ये भी टैक्स के दायरे में आ जाएगा। पांच हजार रुपए तक की पढ़ाई व खेल की सामग्री ऑनलाइन बुलाई जा सकती थी, इस पर भी टैक्स लगाया जा रहा है।
हम कोई एजेंसी नहीं बना रहे, बिचौलिया भी नहीं होगा
मंत्री मलैया ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हम किसी को एजेंसी नहीं बनाने जा रहे हैं। जो टैक्स एकत्र किया जाएगा, वो विभाग द्वारा ही किया जाएगा। इसमें कहीं बिचौलिए की जरूरत नहीं है। ई-कॉमर्स से साल में 300 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद है, जिसे विकास कार्यों में लगाया जाएगा। टैक्स वसूली का फुलप्रूफ सिस्टम बनाया गया है।
चुनाव में खर्च के लिए ठेकेदारों से चंदा लेते हैं दल
रावत ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार का अमला अक्षम साबित हो रहा है। आबकारी विभाग की स्थिति को देख लें इस तरह कितनी बार करों में कितनी बार छूट दी है। सोम डिस्टलरी को ही करोड़ों रुपए की छूट दी। सरकार कर क्यों वसूल नहीं कर पाई क्योंकि हर राजनीतिक पार्टी ऐसे ठेकेदारों से चुनावों में खर्च करने के लिए चंदा लेती हैं। फिर वे ठेकेदार अनुचित फायदा उठाते हैं।